सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद के अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट देने वाले दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 के एक प्रावधान को रद्द करने का उसका 2014 का आदेश पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगा।
2014 मई को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कानून की धारा 6ए(1) को अमान्य करार दिया था, जिसके तहत भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत किए ऐसे किसी भी कथित अपराध की जांच के लिए केंद्र की अनुमति की आवश्यकता होती है, जिसमें संयुक्त सचिव तथा उससे ऊपर के पद के केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ आरोप हो।
जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस प्रश्न पर अपना फैसला दिया कि क्या गिरफ्तारी से छूट देने वाले प्रावधान को रद्द करने का संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत संरक्षित अधिकारों के मद्देनजर पूर्वव्यापी प्रभाव पड़ेगा?
इस संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस ए एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जे के माहेश्वरी भी शामिल रहे। पीठ ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी के मामले में संविधान पीठ द्वारा (मई 2014 में) दिया फैसला पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगा। डीएसपीई कानून की धारा 6(ए) को इसे सम्मिलित किए जाने की तारीख से लागू नहीं माना जाएगा जो कि 11 सितंबर 2003 है।