बिहार के पटना की एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने पूर्वी चंपारण नकली मुद्रा मामले में छठे आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। पूर्वी चंपारण जाली मुद्रा मामले में दोषी ठहराए जाने वाले छठे आरोपी मुन्ना सिंह को एनआईए विशेष अदालत, पटना (बिहार) ने जुर्माने के साथ 10 साल की कठोर कारावास (आरआई) की सजा सुनाई है।
46 वर्षीय आरोपी, जिसे सितंबर में उसके खिलाफ आरोपों में दोषी पाया गया था, को भारत दंड संहिता की धारा 489 बी, 489 बी के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 120 बी के तहत 5000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। साथ ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 16, 18, 20 और 21 के तहत पांच साल का कठोर कारावास और 5000 रुपये का जुर्माना लगाया। एनआईए ने कहा, “सजाएं एक साथ चलेंगी।”
अफ़रोज़ अंसारी नामक व्यक्ति से 5,94,000 रुपये के अंकित मूल्य के उच्च गुणवत्ता वाले नकली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) की जब्ती से संबंधित मामले में कुल 10 आरोपी शामिल था।
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने उसे पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के रामगढ़वा के पास से पकड़ा था, जब वह नकली नोटों की खेप नेपाल में आगे डिलीवरी के लिए भारत-नेपाल सीमा के पास रक्सौल ले जा रहा था।
अक्टूबर 2018 में एनआईए की विशेष अदालत ने उर्फ सनी शॉ उर्फ सुजीत कुमार उर्फ कबीर खान, अशरफुल आलम उर्फ इशराफुल आलम और अलोमगीर शेख उर्फ राजू को दोषी ठहराया और 30,000 रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक अन्य आरोपी, रईसुद्दीन, पिछले महीने 5000 रुपये जुर्माने के साथ पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।मामला मूल रूप से 19 सितंबर, 2015 को दर्ज किया गया था और उसी वर्ष 23 दिसंबर को एनआईए ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था।