
गुरुग्राम की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के एक मामले में गोरक्षक और बजरंग दल कार्यकर्ता मोनू मानेसर की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी है।
मोनू मानेसर नूंह हिंसा और राजस्थान में अपहरण-हत्या मामले में भी आरोपी है। उन्हें 16 अक्टूबर को नूंह हिंसा मामले में जमानत मिल गई थी।
पटौदी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तरन्नुम खान की अदालत ने मोहित यादव, जिसे मोनू मानेसर के नाम से भी जाना जाता है, को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रहने का निर्देश दिया है। सुरक्षा कारणों से मानेसर की सुनवाई भोंडसी जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई।
मानेसर के वकील कुलभूषण भारद्वाज ने कहा, ”पटौदी थाने में दर्ज हत्या के प्रयास के मामले में आज पटौदी कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत अगले 14 दिनों के लिए बढ़ा दी है. अगली सुनवाई होगी 8 नवंबर को होगी।” भारद्वाज ने आगे कहा कि अगली सुनवाई भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही होगी।
हत्या के प्रयास का मामला 6 फरवरी को पटौदी के बाबा शाह मोहल्ले में दो समूहों के बीच टकराव से जुड़ा है जब मानेसर अपने समूह के साथ मौजूद था। उसी इलाके के निवासी मुबीन खान ने एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि टकराव के दौरान उनके बेटे को गोली मार दी गई थी। इसके बाद 7 फरवरी को मानेसर के पटौदी थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया।
मानेसर को नासिर और जुनैद के अपहरण और हत्या के मामले में भी गिरफ्तार किया गया था, जिनके जले हुए शव 16 फरवरी को राजस्थान-हरियाणा सीमा पर एक वाहन में पाए गए थे। कथित तौर पर गौ तस्करी का आरोप लगाने वाले गौरक्षकों ने उनका अपहरण कर लिया था।
नूंह हिंसा मामले में सबसे पहले 12 सितंबर को गुरुग्राम के मानेसर से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, पिछले महीने नूंह की एक अदालत से ट्रांजिट रिमांड प्राप्त करने के बाद उसे राजस्थान पुलिस को सौंप दिया गया था। बाद में उन्हें राजस्थान से वापस गुरुग्राम लाया गया और पटौदी की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने भोंडसी जेल में उनकी न्यायिक हिरासत का आदेश दिया था।
31 जुलाई को नूंह में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में एक धार्मिक जुलूस पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस घटना और उसके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा में छह लोगों की जान चली गई। निकटवर्ती गुरुग्राम में एक मस्जिद पर हुए हमले में एक मौलवी की मौत हो गई थी।