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बेदह जहरीली है राजधानी की आब-ओ-हवा, 12 साल कम हो सकती है दिल्लीवासियों की उम्र, लागू हो सकता है ऑड-ईवन रूल

Delhi’s Air Quality

दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने के सरकारी प्रयास अभी तक बेमानी साबित हो रहे हैं। बीते रोज के डेटा के मुताबिक राजधानी दिल्ली का एक्यूआई वायु गुणवत्ता सूचकांक 437 तक गिर चुका था। मौसम विज्ञानी-चिकित्सक और पर्यावरण विदों के मुताबिक में दिल्ली की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इसी के मद्देनजर अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली की राज्य सरकार शीघ्र ही ऑड-ईवन ट्रैफिक रूल लागू कर सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक अगर एक्यूआई 500 के स्तर के आस-पास पहुंचा तो इससे दिल्ली के निवासियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अगर दिल्ली में प्रदूषण की यही स्थिति रही तो दिल्लीवासियों की औसत आयु 12 साल तक कम हो सकती है।

दरअसल, गुरुवार सुबह 7 बजे तक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह के 419 से बिगड़कर शाम 4 बजे तक 437 पर पहुंच गया। 24 घंटे का औसत AQI, प्रतिदिन शाम 4 बजे दर्ज किया जाता है। यही सूचकांक बुधवार को 401, मंगलवार को 397, सोमवार को 358, रविवार को 218, शनिवार को 220 और शुक्रवार को 279 था।

पिछले सप्ताहांत अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का श्रेय बारिश को जाता है। इसके बाद के दिनों में दिवाली की रात जमकर पटाखे फोड़े जाने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ने के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि देखी गई।

ये प्रभाव प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों, मुख्य रूप से शांत हवाओं और कम तापमान के कारण बढ़े, जिससे प्रदूषकों के फैलाव में बाधा उत्पन्न हुई। पड़ोसी गाजियाबाद (374), गुरुग्राम (404), ग्रेटर नोएडा (313), नोएडा (366), और फरीदाबाद (415) में भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब से गंभीर दर्ज की गई।

शून्य और 50 के बीच एक AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर गंभीर प्लस माना जाता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने AQI 450 अंक से अधिक होने पर ऑड-ईवन स्कीम को बहाल करने की संभावना का जिक्र किया था। हालांकि वायु प्रदूषण को कम करने का यह कोई स्थाई समाधान नहीं है लेकिन फौरी तौर पर दिल्लीवासियों को कुछ राहत मिल सकती है।

ऑड-ईवन ट्रैफिक रूल दिल्ली में 2016 से चार बार लागू किया गया है। इस नियम के अनुसार वाहनों को उनके पंजीकरण संख्या के विषम या सम अंतिम अंक के आधार पर वैकल्पिक दिनों में संचालित करने किया जाता है। सरकार ने हाल ही में बारिश के कारण वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार के बाद इसके कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया था।

दिल्ली सरकार और आईआईटी-कानपुर की एक संयुक्त परीक्षण में पाया गया कि बुधवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान लगभग 38% था, जो गुरुवार को घटकर 25% हो गया। दिल्ली के प्रदूषण में अकार्बनिक एरोसोल जैसे सल्फेट और नाइट्रेट 30 से 35% पाए गए थे। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी के अनुसार, शांत हवा और कम तापमान प्रदूषक जमीन की सतह से कुछ ऊपर जमा इकट्ठे हो जाते हैं। मौसम विज्ञानियों की मानें तो दिल्लीवासियों को अगले कुछ दिनों तक राहत मिलने की संभावना नहीं है। संभावना है कि 21 नवंबर से हवा की गति में सुधार होगा जिससे से वायु प्रदूषण के स्तर में कमी आ सकती है।
निर्माण कार्य पर प्रतिबंध और शहर में डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश सहित राज्य सरकार के कड़े कदमों के बावजूद, दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब हो गई है। वायु गुणवत्ता पर निगरानी रखने वाली कंपनी IQAir ने गुरुवार को दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया है।

पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक प्रणाली ने संकेत दिया कि गुरुवार को राजधानी में वायु प्रदूषण में पराली जलाने से पैदा हुए कण 7.5% थे, जो शुक्रवार को घटकर 3.5% और शनिवार को 3% होने की उम्मीद है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक अधिकारी के अनुसार, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत कड़े कदम अगले आदेश तक राष्ट्रीय राजधानी में जारी रहेंगे। दिल्ली सरकार ने जीआरएपी में उल्लिखित उपायों का सख्ती से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए छह सदस्यीय विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) की स्थापना की है। दिल्ली के विशेष सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता वाली एसटीएफ में परिवहन, यातायात, राजस्व, दिल्ली नगर निगम और लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

डॉक्टर इस बात पर जोर देते हैं कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है। उच्च प्रदूषण स्तर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ सकता है। वाहन उत्सर्जन, धान-पुआल जलाने, पटाखे और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु गुणवत्ता स्तर में योगदान करती हैं।
इसी साल अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें दावा किया गया था कि वायु प्रदूषण यही हाल रहा तो दिल्लीवासियों की जिंदगी औसत 12 साल कम हो जाएगी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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