दिल्ली में प्रदूषण को रोकने में स्मॉग टावरों की अप्रभावीता पर जोर देते हुए, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को बताया कि स्मॉग टावर व्यावहारिक समाधान नहीं हो सकते है।
डीपीसीसी ने अपने हलफनामे में कहा कि, यदि 100 मीटर के दायरे में 17% की कमी को अनुकूल माना जाए तो दिल्ली को अपने भौगोलिक क्षेत्र को कवर करने के लिए 40,000 से अधिक ऐसे टावरों की आवश्यकता है।
दिल्ली के भौगोलिक क्षेत्र को कवर करने के लिए आवश्यक स्मॉग टावरों की संख्या पर प्रकाश डालते हुए डीपीसीसी ने कहा कि ये टावर व्यावहारिक समाधान नहीं हो सकते हैं।
इसलिए डीपीसीसी के मुताबिक पहले से बने स्मॉग टावर का इस्तेमाल संग्रहालय के रूप में वायु प्रदूषण नियंत्रण की तकनीकी जानकारी के प्रसार के लिए किया जा सकता है।
डीपीसीसी के मुताबिक, स्मॉग टावर वायु प्रदूषण रोकने में कारगर नहीं रहे हैं। इसके अलावा, यह पाया गया है कि स्मॉग वोवर की प्रभावकारिता ने हवा की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं किया है।
डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर की अप्रभावीता पर उसके विचार दिल्ली सरकार को बता दिए गए हैं, लेकिन इस मामले पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण संकट को लेकर मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली में स्मॉग टावर को फिर से शुरू करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद डीपीसीसी द्वारा स्मॉग टावरों का संचालन किया गया।