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कहां है ‘कवच’? सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेन की सुरक्षा प्रणाली के बारे में मांगी जानकारी

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से ‘कवच’ स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली सहित देश में ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मौजूद या प्रस्तावित सुरक्षात्मक उपायों के बारे में जानकारी मांगी हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अदालत ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी को अपनी याचिका की एक प्रति अटॉर्नी जनरल के कार्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से अनुरोध किया कि वह सरकार द्वारा पहले से लागू या नियोजित ‘कवच’ योजना सहित सुरक्षात्मक उपायों के बारे में अदालत को सूचित करें। मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।
तिवारी ने सार्वजनिक सुरक्षा उपायों के मुद्दे पर जोर देते हुए पिछले साल जून में ओडिशा के बालासोर जिले में एक ट्रेन दुर्घटना का उल्लेख किया, जिसके परिणामस्वरूप 288 लोग हताहत हुए। उन्होंने ट्रेन टकराव को रोकने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई सुरक्षा प्रणाली पर प्रकाश डाला। याचिकाकर्ता ने देश भर में ‘कवच’ प्रणाली को लागू करने के वित्तीय प्रभावों के बारे में चिंता जताई और कहा कि इस तरह के विचारों का यात्रियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
अदालत ने कहा, “हर चीज़ का वित्तीय पहलू से संबंध होता है क्योंकि आख़िरकार इसका बोझ यात्रियों पर डाला जाएगा।”
तिवारी ने तर्क दिया कि सरकार को कई परियोजनाएं चलाने के बावजूद लोगों के जीवन और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। याचिका में रेलवे प्रणाली में जोखिम और सुरक्षा मापदंडों का विश्लेषण और समीक्षा करने और सुरक्षा संशोधनों का सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ आयोग की स्थापना की मांग की गई है। इसमें भारतीय रेलवे में ‘कवच’ प्रणाली के तत्काल कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देशों की भी मांग की गई है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि ‘कवच’ प्रणाली के गैर-कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप जीवन की महत्वपूर्ण हानि हुई है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ है, जो अधिकारियों द्वारा घोर लापरवाही और देखभाल के कर्तव्य का उल्लंघन दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, यह भविष्य में दुर्घटनाओं को रोकने और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए रेलवे दुर्घटना सुरक्षात्मक उपायों को लागू करने और इन उपायों को मजबूत करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश चाहता है।
याचिका में पिछले तीन दशकों में ट्रेन दुर्घटनाओं का हवाला देते हुए टकराव और दुर्घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रवर्तन तंत्र विकसित करने में अधिकारियों की धीमी प्रतिक्रिया पर जोर दिया गया है। इसमें ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जिसके बिना किसी भी ट्रेन की आवाजाही जारी नहीं रहनी चाहिए।
यह याचिका पिछले साल जून में बालासोर के बहनागा बाजार स्टेशन के पास बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस की दुर्घटना के तुरंत बाद दायर की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप लगभग कई यात्री और एक मालगाड़ी हताहत हुई थी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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