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‘समलैंगिक संबंध अभिजात्य अवधारणा मात्र नहीं’ सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फिर ठुकराया केंद्र का आग्रह

Same Sex

सुप्रीम कोर्ट ने कानून के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि समलैंगिक संबंध और क्वीर अधिकार शहरी-अभिजात्य अवधारणा नहीं हैं, जैसा कि केंद्र सरकार ने दावा किया है। सुप्रीम की संविधान पीठ सेम सेक्स मैरिज के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है। इस पीठ में CJI चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली भी शामिल हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले अधिक लोग अपनी यौन पहचान के संबंध में कोठरी से बाहर आ रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार के पास यह दिखाने के लिए कोई डेटा है कि समलैंगिक विवाह के लिए ऐसी अवधारणाएं या मांगें शहरी संभ्रांत आबादी तक ही सीमित हैं।

उन्होंने आगे कहा कि राज्य लोगों में उनकी सहज विशेषताओं के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि “राज्य किसी व्यक्ति के खिलाफ उस विशेषता के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है जिस पर व्यक्ति का नियंत्रण नहीं है। जब आप इसे जन्मजात विशेषताओं के रूप में देखते हैं, तो यह शहरी अभिजात्य अवधारणा का मुकाबला करता है.. शहरी शायद इसलिए कि अधिक लोग बाहर आ रहे हैं। सरकार के पास यह दिखाने के लिए कोई डेटा भी नहीं है कि समलैंगिक विवाह एक शहरी अभिजात्य अवधारणा है,

सीजेआई ने यह टिप्पणी सरकार की ओर से पेश किए गए तर्कों के आधार पर दी। सरकार का कहना था कि समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने वाले याचिकाकर्ता शहरी अभिजात्य विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया कि याचिकाएं “सामाजिक स्वीकृति के उद्देश्य के लिए केवल शहरी अभिजात्य विचारों” का प्रतिनिधित्व करती हैं और विधायिका को समाज के सभी वर्गों के व्यापक विचारों पर विचार करना होगा।

याचिकाओं के समूह ने कानून के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की है। केंद्र सरकार ने इन सभी याचिकाओं का विरोध किया है।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे मे केंद्र सरकार ने कहा कि भागीदारों के रूप में एक साथ रहना और समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा यौन संबंध बनाना भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलना ठीक नहीं है।

केंद्र ने एक आवेदन भी दायर किया है जिसमें अदालत से कहा गया है कि वह पहले याचिकाओं की विचारणीयता पर फैसला करे। सेम सेक्स मैरिज पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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