दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने एक आवेदन दायर कर आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकपाल के नोटिस पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने याचिका में भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है। अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च को होनी तय की।
14 दिसंबर को अदालत ने लोकपाल के नोटिस के खिलाफ सोरेन की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि मामले में अब और स्थगन नहीं दिया जाएगा। सोरेन के वकील ने मामले में स्थगन की मांग की थी।
लोकपाल ने 28 नवंबर को अदालत को सूचित किया था कि सोरेन के खिलाफ जांच शुरू करना उसके अधिकार क्षेत्र में है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भारत के लोकपाल के लिए पेश हुए थे। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत सीबीआई द्वारा आय से अधिक संपत्ति मामले में नोटिस में लोकपाल द्वारा जांच का निर्देश दिया गया था।
अदालत को दिए अपने हलफनामे में लोकपाल ने कहा था कि इस तरह की जांच केवल यह पता लगाने के लिए शुरू की जाती है कि क्या मामले में आगे बढ़ने के लिए प्रथम दृष्टया कोई तथ्य मौजूद है, जबकि प्रारंभिक जांच करने का निर्देश शिकायत की योग्यता का निर्धारण नहीं है और संबंधित लोक सेवक पर किसी भी तरह से प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।
हलफनामे में कहा गया है, “प्रारंभिक जांच की स्थिति की समीक्षा करने और परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए भारत के लोकपाल ने सीबीआई को समय-समय पर एक्सटेंशन दिया, जो पूरी तरह से न्यायोचित था।”
जूनियर एडवोकेट वैभव तोमर ने लोकपाल के नोटिस के खिलाफ अदालत में सोरेन की तरफ से याचिका दायर की है।
सोरेन की याचिका में कहा गया है कि लोकपाल ने ‘राजनीति से प्रेरित, तुच्छ और गलत शिकायत’ का संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।
लोकपाल का नोटिस भाजपा नेता और लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर जारी किया गया है।