दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि खिलाड़ी स्टेडियम के लिए होते हैं, न कि कोर्ट कॉरिडोर के लिए। कोर्ट ने अगामी एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए घुड़सवारों के चयन की प्रक्रिया पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा जो लोग मातृभूमि का नाम रोशन करना चाहते हैं, उन्हें खेल संघों द्वारा मानसिक पीड़ा का शिकार नहीं होना चाहिए।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने तीन घुड़सवारों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह “इक्वेस्ट्रियन फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईएफआई) के प्रतिनिधियों के बीच मामलों की खेदजनक स्थिति और प्रोफेशनलिज्म की स्थिति से बहुत दुखी हैं और वर्तमान मामला डेविड और गोलियथ प्रतियोगिता का प्रतीत होता है, जहां एक संगठन प्रतिस्पर्धा से कुछ लोगों को खत्म करने के लिए अपनी पूरी शक्ति का उपयोग कर रहा है।
दरअसल, खिलाड़ी चिराग खंडाल, शशांक सिंह कटारिया और यश नेन्सी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सितंबर-अक्टूबर में चीन के हांग्जो में होने वाले 19वें एशियाई खेलों के लिए चयन मानदंड में महासंघ द्वारा पेश किए गए कुछ बदलावों का मुद्दा उठाया है।