दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुनवाई खत्म होने के मुहाने पर केंद्र सरकार ने बुधवार को संविधान पीठ से मामले को बड़ी बेंच यानी 9 जजों की बेंच में भेजने की गुहार लगाई। केंद्र सरकार के वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा, “इतिहास शायद हमें याद न रखे कि हमने अपने देश की राजधानी को पूर्ण अराजकता के हवाले कर दिया था।
इसलिए SC द्वारा फैसला में देरी को मानदंड नहीं बनाना चाहिए, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में पहले बहस क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को इस संबंध में लिखित दलीलें देने की इजाजत दे दी है। वही मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा दिल्ली में हाईब्रिड संघवाद क्यों नहीं हो सकता।
दिल्ली को राज्य जितने नहीं लेकिन उसके जैसे कुछ हक दिए जा सकते हैं। अगर नौकरशाहों के ट्रांसफर पोस्टिंग का हक ना हो तो ये दिल्ली सरकार के नियंत्रण को हल्का नहीं करता ? जब जम्मू- कश्मीर में पब्लिक सर्विस कमीशन है तो दिल्ली में क्यों नहीं। वही संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा था कहा कि संसद की शक्ति असीमित है। जहां कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है, तब संसद शक्ति का प्रयोग कर सकती है।
संसद के पास हर चीज का अधिकार है।कोई UT एक सेवा स्थापित करने के लिए कानून नहीं बना सकता है।भारत में विधायी खालीपन बिल्कुल नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार के मामले में सुनवाई कर रहा है।
पिछली सुनवाई केंद्र के नियंत्रण को सही ठहराते हुए कहा पूर्व-संवैधानिक युग और संवैधानिक युग के बाद, देश की राजधानी को एक विशिष्ट दर्जा देने और सभी विधायी और कार्यकारी कार्यों में केंद्र का नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास किया गया है। तुषार मेहता ने कहा यह दुनिया के सभी देशों की सभी राजधानियों के अनुरूप है क्योंकि किसी भी देश की राजधानी को एक विशेष दर्जा बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
राजधानी सत्ता की वह जगह है जहां केंद्र सरकार बैठती है उन्होंने कहा कि अन्य सभी देशों के प्रतिनिधियों के पास उनके दूतावास, आयोग, वाणिज्य दूतावास होते हैं। विश्व के नेता भी देश की राजधानी का दौरा करते हैं और यह किसी भी राष्ट्र की राजधानी होती है, जो दुनिया के सामने देश का चेहरा बनती है।