दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। सीआईसी के
इस आदेश को सीबीडीटी ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने इस बात के मद्देनजर स्टे दिया कि सीआईसी ने ट्रस्ट को नोटिस जारी नहीं किया था। ट्रस्ट अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन की देखरेख कर रहा है। जस्टिस सिंह ने कहा, “याचिकाकर्ता ने अंतरिम राहत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है, और अगर अंतरिम राहत नहीं दी गई तो उसे अपूरणीय क्षति होगी।”
कोर्ट ने कहा 30 नवंबर, 2022 का आदेश अगली तारीख तक स्थगित रहेगा। सीपीआईओ ने आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने की मांग की है और कहा है कि आदेश 3 जनवरी को प्राप्त हुआ था। सीपीआईओ को निर्देश दिया गया है कि आरटीआई आवेदन में किए गए कुछ बिंदुओं पर फिर से गौर करें और आदेश प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध कराएं।
आरटीआई आवेदक कैलाश चंद्र ने दान के लिए कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट द्वारा दायर पूर्ण आवेदन की एक प्रति मांगी थी। उन्होंने छूट मांगने वाले आवेदन के साथ दायर ट्रस्ट डीड की एक प्रति भी मांगी थी। आवेदक को सूचना देने से इंकार कर दिया गया और उसने अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष प्रथम अपील दायर की। अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद आवेदक ने सीआईसी से संपर्क किया जिसने सीपीआईओ को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए 30 नवंबर का आदेश पारित किया। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि आयकर अधिनियम एक विशेष अधिनियम है और आयकर रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी को इसके तहत छूट प्राप्त है। हाई कोर्ट ने मामले को 23 मई को सूचीबद्ध करते हुए, सीपीआईओ के वकील से इस पर विचार करने के लिए कहा कि क्या ट्रस्ट को पक्षकार के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।