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दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वाति चतुर्वेदी को दी बड़ी राहत, मानहानि के मामले में 17 जुलाई कार्रवाई पर लगाई रोक

Tajindar singh Bagga, Delhi High Court

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी को बड़ी राहत दी है। स्वाति चतुर्वेदी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेता तेजेंदर पाल सिंह बग्गा ने मानहानि का मुकदमा कायम करवाया था। स्वाति चतुर्वेदी ने इसी मुकदमे को रद्द करवाने के लिए याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि स्वाति चतुर्वेदी के खिलाफ क 17 जुलाई, 2023 तक कोई कार्रवाई न की जाए।

इसी के साथ हाईकोर्ट ने में ट्रायल कोर्ट के समन को रद्द करने की पत्रकार की याचिका पर एकल न्यायाधीश की बेंच रजनीश भटनागर ने नोटिस भी जारी किया।

स्वाति चतुर्वेदी को 2017 में राजनीतिक दल के प्रवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। स्वाति चतुर्वेदी ने नियुक्ति के बाद तजिंदर बग्गा ने पत्रकार के खिलाफ ट्वीट किए थे। इन्हीं ट्वीट के खिलाफ तजिंदर सिंह बग्गा ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

स्वाति चतुर्वेदी ने ट्वीट किया था: “अब यौन उत्पीड़न के मामले में @pbhushan1 को पीटने वाला व्यक्ति @BJP4India के लिए बोल रहा है। अच्छी नौकरी।”

2018 में, एक मजिस्ट्रेट अदालत ने चतुर्वेदी को उसके सामने पेश होने के लिए तलब किया। फिर पिछले साल दिसंबर में स्वाति चतुर्वेदी ने जिला सत्र अदालत में चुनौती दी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया गया। स्वाति चतुर्वेदी ने मजिस्ट्रेट और सत्र अदालतों के फैसलों के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है।

चतुर्वेदी की ओर से पेश एडवोकेट अदित पुजारी ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 499 के स्पष्टीकरण 2 के तहत ट्रायल कोर्ट के सामने कोई दूसरा गवाह नहीं लाया गया जो यह संकेत दे सके कि ट्वीट के परिणामस्वरूप बग्गा की छवि को नीचे कर दिया गया है।

यह भी दावा किया गया था कि बग्गा ने 2011 में भूषण की पिटाई करने की बात स्वीकार की थी और यौन उत्पीड़न मामले की पीड़िता ने बग्गा के खिलाफ ट्वीट किया था।

राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिका सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याचिका की आड़ में दायर दूसरी याचिका से ज्यादा कुछ नहीं है। यह भी दावा किया गया कि दो अदालतों ने पत्रकार के खिलाफ समवर्ती निष्कर्ष जारी किए थे।

बग्गा के वकील ने तर्क दिया कि जनता की नज़रों में उनकी छवि को गिराया गया या नहीं, यह एक तथ्य का सवाल है जिसे सबूतों द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

यह भी आरोप लगाया गया कि भूषण की पिटाई से जुड़ा मामला अभी भी पटियाला हाउस कोर्ट के समक्ष लंबित है और ऐसा कोई सबूत भी नहीं दिखाया गया है जिससे यह पता चले कि उसने ऐसा दावा किया था।

इसके अलावा, यह दावा किया गया था कि बग्गा को कभी भी किसी यौन उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया था और पत्रकार की अपील निराधार थी।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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