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नागरिकता कानून पासपोर्ट मैनुअल के प्रावधानों को सुपरसीड करता है- दिल्ली हाईकोर्ट

Citizenship Act v Passport Manual

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया आदेश में टिप्पणी की है कि 1955 का नागरिकता अधिनियम 2020 के पासपोर्ट मैनुअल में उल्लिखित प्रावधानों को सुपरसीड करता देता है । न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने हाल ही में दो नाबालिग बच्चों की याचिका पर आदेश पारित किया, जिसमें उनके भारतीय पासपोर्ट रद्द करने और उन्हें फिर से जारी करने से इनकार करने के पासपोर्ट अधिकारियों के फैसले को चुनौती दी गई थी।

दरअसल, भारतीय माता-पिता से पैदा हुए दो बच्चों ने अमेरिका से फिर वापस लौटने पर पासपोर्ट अधिकारियों से उन्हें नि:शुल्क भारतीय पासपोर्ट जारी करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि उनके पिता ने अपनी भारतीय नागरिकता बरकरार रखने का विकल्प चुना , जबकि उनकी मां ने नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के तहत अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली ।
बच्चों के पक्ष में अपने फैसले में, एचसी ने यह स्पष्ट किया कि वे नागरिकता अधिनियम की धारा 4(1)(ए) में उल्लिखित मानदंडों को पूरा करते हैं, जिसमें कहा गया है कि भारत और किसी अन्य देश की नागरिकता रखने वाले नाबालिग को उनमें से एक को त्यागना होगा।

“अदालत ने कहा, पासपोर्ट मैनुअल नागरिकता अधिनियम की धारा 4 से भिन्न है, जो निस्संदेह पासपोर्ट मैनुअल पर प्रभावी होगा। यह स्पष्ट है कि अधीनस्थ कानून मूल कानून को खत्म नहीं कर सकता है।”
न्यायाधीश प्रसाद की पीठ ने कहा कि धारा 4(1)(ए) के अनुसार वयस्क होने पर विदेशी नागरिकता छोड़नी होगी। जिसके लिए वो तैयार हैं। इसलिए भारतीय पासपोर्ट हासिल करने की उनकी मांग में कोई कमी नहीं है। न्यायाधीश प्रसाद ने आदेश दिया कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर बच्चों को भारतीय पासपोर्ट दिया जाए।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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