दिल्ली उच्च न्यायालय ने 20 मार्च बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ईडी द्वारा जारी किए गए समनों के खिलाफ दायर याचिका पर फौरी राहत देने से इंकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने केजरीवाल के वकीलों की दलीलों के बावजूद ईडी से उसका रुख बताने के लिए कहा है और मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पहलू पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए ईडी को दो सप्ताह का समय दिया।
दरअसल, ईडी ने केजरीवाल को नवां समन भेजा था जिसके खिलाफ उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी अदालत के सामने पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट के सामने गिरफ्तारी से प्रोटेक्शन के साथ यह सवाल भी रखा कि क्या राजनीतिक दल मनीलॉंड्रिंग कानून के दायरे में आते हैं?।
अदालत ने अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि अरविंद केजरीवाल लगातार समन भेजने के बाद भी ईडी के सामने पेश क्यों नहीं हो रहे हैं।
इस पर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसी की मंशा उन्हें गिरफ्तार करने की है। इसलिए प्रोटेक्शन फ्रॉम अरेस्ट की आवश्यकता है, क्यों कि चुनाव नजदीक हैं और वो अपने प्रत्याशी और पार्टी के प्रचार अभियान से वंचित हो सकते हैं।
इससे पहले केजरीवाल ने बार-बार इन सम्मनों को अवैध बताते हुए उनके जवाब में ईडी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था।
ऐसा भी बताया जाता है कि अरविंद केजरीवाल से पहले ईडी ने जिन लोगों को भी पूछताछ के लिए बुलाया उन सभी को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार किए जाने वाले लोगों में मनीष सिसौदिया और संजय सिंह अभी तक जेल में ही है।