शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल अपनी रिमांड कॉपी में मनीष सिसोदिया पर बड़े आरोप लगाए है। ईडी की रिमांड कॉपी की एक्ससीलुस कॉपी लीगली स्पकिंग के पास है। ईडी ने रिमांड कॉपी में मनीष के खिलाफ बड़ी साजिश रचने और दोषपूर्ण नीति बनाने का इल्जाम लगाया गया है।
रिमांड कॉपी के मुताबिक, कम से कम 290 करोड़ रुपये से ज्यादा की आपराधिक आय को लेकर मनीष सिसोदिया की संदिग्ध भूमिका जांच के दायरे में है। ये आंकड़ा तारीख के अनुसार गिनती का है, जिसके आगे चलकर जांच के दौरान और बढ़ने की संभावना है।
मनीष सिसोदिया ने इस मामले में दूसरे व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश रची और वो रिश्वत के बदले दोषपूर्ण नीति बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं। सच्चाई कितनी है नहीं मालूम मगर सूत्र बताते हैं कि इस साजिश में बड़े भाई साहब-छोटे भाई और जिगरी दोस्त जैसे कई मंत्री शामिल है। ईडी ने दावा किया है की मनीष सिसोदिया ने ऐसी आय के सृजन, हस्तांतरण और उसे छिपाने में भूमिका निभाई है और साथ ही इसे बेदाग बताकर पेश किया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने रिमांड कॉपी में कहा है कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत मनीष के बयान 7 और 9 मार्च 2023 को दर्ज किए गए हैं। वो पूछताछ में गोलमोल जवाब देते रहे और सच्चाई का खुलासा नहीं किया। इतना ही नही वह इस मामले को किसी नतीजे तक ले जाने के लिए जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। ईडी ने रिमांड कॉपी में यह भी कहा कि इसलिए, करोड़ों रुपये के इस घोटाले की तह तक जाने के लिए मनीष सिसोदिया को हिरासत में लेकर पूछताछ किए जाने की मांग की है।
ईडी ने जिन लोगों को सरकारी गवाह बनाया है उनमें सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के भरोसेमेंद एक पीए-पीएस शामिल भी शामिल हैं। इन लोगों ने सारे टेप ईडी और सीबीआई के हवाले कर दिए हैं। यह तो जगजाहिर हैं कि अरविंद केजरीवाल को मनीष सिसोदिया अपना बड़ा भाई बताते रहे हैं। नव नियुक्त मंत्री सौरभ खुद को मनीष सिसोदिया का छोटाभाई कहते हैं। खड़ाऊं रख कर शासन करने की कसमें खा रहे हैं। उनके ‘कामों’ को आगे बढाने की प्रतिज्ञा ले रहे हैं।
ईडी ने दावा किया है कि जांच से पता चला है कि मनीष सिसोदिया वास्तव में इस प्रक्रिया में शामिल हैं और अपराध की आय से जुड़े हैं। ईडी ने दावा किया है कि मनीष सिसोदिया के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है। इतना ही नही उन्होंने ऐसी जानकारी को छुपा कर रखा है, जो जांच के लिए बेहद ज़रूरी है।
वही आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को 17 मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। इसके अलावा सीबीआई वाले मामले में भी मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर सुनवाई 21 मार्च तक टल गई है। तिहाड़ जेल में घंटों की पूछताछ के बाद कल ईडी की गिरफ्तार के बाद शुक्रवार दोपहर 2 बजे सिसोदिया को अदालत में पेश किया गया।
सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सिसोदिया की 10 दिन की हिरासत की मांग वाली ईडी की याचिका का विरोध किया। जब कि ईडी ने कहा कि वह मनीष सिसोदिया से पूछताछ करने के लिए 10 दिन की हिरासत की मांग कर रही है ताकि उसकी कार्यप्रणाली की पहचान की जा सके और समन किए गए अन्य व्यक्तियों का सामना किया जा सके।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि मनीष सिसोदिया ने दूसरे लोगों के नाम से सिम कार्ड और मोबाइल फोन खरीदे थे। ईडी ने अदालत में तर्क दिया कि साजिश को विजय नायर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर समन्वित किया था और आबकारी नीति थोक विक्रेताओं के लिए असाधारण लाभ मार्जिन के लिए लाई गई थी। ईडी ने अदालत को बताया कि जीओएम की बैठक में निजी संस्थाओं को थोक लाभ मार्जिन के 12 प्रतिशत के मार्जिन पर कभी चर्चा नहीं की जा सकी है। इसलिए मनीष सिसोदिया की रिमांड जरूरी है।