पूर्वी दिल्ली के विश्वास नगर मे डीडीए के अतिक्रमण रोधी अभियान को एक हफ्ते तक रोकने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बारे में वो दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर दखल नहीं देना चाहते हैं लेकिन डीडीए लोगों को एक हफ्ते का समय दे ताकि वो अपना सामान खुद निकाल सकें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस दौरान डीडीए तोड़-फोड़ नहीं करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील से भी कहा कि सभी लोग इस अवधि में अपना सामान अतिक्रमित स्थल से खुद हटा लें। अगर लोग सामान नहीं निकालते हैं तो डीडीए 29 मई के बाद तोड़-फोड़ अभियान चला सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा उनकी रुचि लोगों के पुनर्वास में हैं अतिक्रमण रोधी अभियान को रोकने में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि वो पुनर्वास के मुद्दे पर ही डीडीए को नोटिस जारी कर रहे हैं।
दरअसल सोमवार सुबह 8 बजे से डीडीए तोड़फोड़ अभियान चला रहा है। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। डीडीए की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली हाईकोर्ट मार्च में ही अवैध निर्माण वालों की याचिका खारिज कर चुका है। अदालत ने कहा कि वो हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने का इच्छुक नहीं है। लेकिन डीडीए तुरंत अपना तोड़फोड़ अभियान रोके ताकि लोग खुद निर्माण खाली कर दें। एक हफ्ते बाद डीडीए ये तोड़फोड़ अभियान फिर से चला सकता है। याचिका में कहा गया है कि इतनी भीषण गर्मी मे लोगों को बेघर किया जा रहा है लेकिन उनके पास रहने का कोई विकल्प नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि वो अतिक्रमण रोधी अभियान से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के मुद्दे पर ही विचार करेगी। मामले की सुनवाई जुलाई में निर्धारित की गई है।