दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जोड़े को तलाक देते हुए अपने एक अहम फैसले में कहा की एक पत्नी द्वारा पति के खिलाफ झूठी पुलिस शिकायत करना मानसिक क्रूरता है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि पुलिस स्टेशन “किसी के भी जाने के लिए सबसे अच्छी जगह नहीं है”।
यह मानसिक उत्पीड़न और आघात का एक जरिया है, पत्नी ने पति को “फंसाने” के लिए सब कुछ किया है।
दरअसल पत्नी ने अपने पति और उसके परिवार द्वारा कथित क्रूरता के बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, और यह भी दावा किया था कि उसके ससुर ने एक बार उसकी सास की उपस्थिति में उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था। पति ने तलाक़ न देने वाले पारिवारिक अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
पीठ, ने कहा कि सभी आरोपियों को ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था और कहा, “झूठे आरोप लगाने का ऐसा आचरण और पुलिस स्टेशन में बुलाए जाने की लगातार धमकी ऐसे क्रूरता के कृत्य हैं जो मानसिक संतुलन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं और हैं।
अदालत ने यह भी कहा की पुलिस स्टेशन किसी के भी घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह नहीं है। यह मानसिक उत्पीड़न और आघात का एक स्रोत है, जब भी उसे पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था, जैसे कि उसके सिर पर सी तलवार’ लटक रही थी, न जाने कब उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अदालत ने कहा मौजूदा मामले में, तलाक की डिक्री न देना दोनों पक्षों के लिए सही नही होगा। “दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है और इतने लंबे समय तक अलगाव के कारण झूठे आरोप, पुलिस रिपोर्ट और आपराधिक मुकदमा मानसिक क्रूरता का स्रोत बन गया है और इस रिश्ते को जारी रखने की कोई भी जिद केवल दोनों पक्षों पर और अधिक क्रूरता पैदा करेगी।”
अदालत ने यह भी कहा की दंपति के बीच वैवाहिक कलह चरम पर पहुंच गई है, जहां उनके बीच विश्वास और प्यार पूरी तरह खत्म हो गया है।