उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए साफ कहा निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाएंगे। हाईकोर्ट ने कहा जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्ट ना हो तब तक आरक्षण नहीं किया जाए। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच आज उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दाखिल याचीका पर फैसला सुनाया है। 24 दिसंबर को
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर दाखिल याचीका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाई कोर्ट रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव के मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।
वही नगर विकास विभाग के सचिव रंजन कुमार ने हलफनामे में कहा है कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।