दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया है की नर्सरी कक्षा में कम आय वर्ग (EWS) और वंचित समूह वर्ग के बच्चो को स्कूलों के कुल क्षमता की 25 फीसदी सीटों पर दाखिला दिया जाये और यदि कोई भी स्कूल इस आदेश का पालन नहीं करता है तो स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाये, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है की नर्सरी कक्षा में कम आय वर्ग (EWS) और वंचित समूह वर्ग के बच्चो को स्कूलों के कुल क्षमता की 25 फीसदी सीटों पर दाखिला दिया जाये। नर्सरी कक्षा में कम आय वर्ग (EWS) और वंचित समूह के बच्चों को दाखिला देने के मसले पर निजी स्कूलों को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने एकलबेंच के 16 दिसंबर के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से फिलहाल इनकार कर दिया, जिसमें स्कूलों को हर हाल में कक्षा की कुल क्षमता की 25 फीसदी सीटों पर EWS व वंचित समूह के बच्चों को दाखिला के आदेश दिए थे।
एकलबेंच ने फैसले में साफ कहा हैं कि सामान्य श्रेणी में कितने बच्चों को दाखिला होता है, इसका EWS दाखिले से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने सरकार और शिक्षा निदेशालय को आदेश दिया हैं कि यदि कोई स्कूल आरटीई अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं करता है तो उसकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई करने में संकोच नहीं करें। साथ ही, अन्य तरह की कार्रवाई भी समय सीमा के भीतर करने को कहा हैं।
जस्टिस संजीव सचदेवा और सौरभ बनर्जी की अवकाशकालीन बेंच ने कहा कि शिक्षा का अधिकार एक कल्याणकारी कानून है, इसलिए आप (स्कूल) तय कानून के हिसाब से EWS बच्चों को दाखिला दिलाओ। हम आपकी बात सुनेंगे और बाद में समुचित फैसला करेंगे।
कोर्ट ने एकलबेंच के 16 दिसंबर के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई के दौरान यह मौखिक टिप्पणी की है। बेंच ने एकलबेंच के फैसले पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया। साथ ही मामले की सुनवाई नियमित बेंच के समक्ष 9 जनवरी को तय कर दी।
इस मामले में पहले भी दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि उच्च न्यायालय के फैसले के हिसाब से निजी स्कूल अब शिक्षा निदेशालय द्वारा ड्रा के माध्यम से चुने गए ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत बच्चों को प्रवेश देने से इनकार नहीं कर पाएंगे। अधिकारियों ने कहा था कि हाईकोर्ट के इस आदेश से हजारों गरीब परिवारों को राहत मिलेगी, क्योंकि निजी स्कूल अपने बच्चों को प्रवेश से वंचित नहीं कर पाएंगे. अधिकारियों ने ये भी कहा कि इस मामले में यह देखा गया कि कई निजी स्कूल सामान्य वर्ग के तहत तीन सीटों पर प्रवेश पाने के बाद ही ईडब्ल्यूएस श्रेणी के एक छात्र को प्रवेश दे रहे थे, जिसके कारण ड्रॉ में चयनित कई बच्चों को प्रवेश से वंचित कर दिया गया। इस मुद्दे को अदालत में ले जाने के बाद, इसने दोनों पक्षों के तर्कों पर विचार किया और शुक्रवार को एक निर्णय पर पहुंचा कि निजी स्कूल अब ड्रा में चयनित बच्चों को प्रवेश से वंचित नहीं कर पाएंगे, उन्होंने कहा।
अधिकारियों ने कहा कि प्रवेश से इनकार करने वाले स्कूलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्कूल से कहा कि यदि आप किसी भी कठिनाई का सामना कर रहे हैं तो आपको शिकायत शिक्षा निदेशक से करनी चाहिए। शिक्षा निदेशक से शिकायत करने के बजाए कोर्ट में आना वैसा ही है, जैसे ट्रेन की टिकट के लिए एयरपोर्ट जाना।