इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गैंगस्टर-राजनेता और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को 2007 में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में जमानत दे दी हैं।
उच्च न्यायालय का आदेश गाजीपुर की एक विशेष एमपी-एमएलए अदालत के खिलाफ अंसारी की याचिका पर आया, जिसने इस साल अप्रैल में मामले में उन्हें 10 साल की कैद की सजा सुनाई और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति राज बीर सिंह की एकल पीठ ने उन्हें जमानत देते हुए जुर्माने पर भी रोक लगा दी। हालांकि, पीठ ने इस मामले में सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस पर बाद में सुनवाई की जाएगी।
अंसारी, जो वर्तमान में बांदा जेल में बंद है, जमानत मिलने के बावजूद जेल में ही रहेगा क्योंकि वह कई अन्य मामलों में आरोपी है। इसी साल जून में वाराणसी की एक अदालत ने हत्या के एक मामले में अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
20 सितंबर को मामले में सुनवाई के दौरान, अंसारी के वकील ने अदालत में दलील दी थी कि 2005 में भाजपा विधायक कृष्ण नंद राय की हत्या में उनकी कथित संलिप्तता के आधार पर अपीलकर्ता पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था और उस मामले में उन्हें पहले ही बरी किया जा चुका है।
अपीलकर्ता के वकील की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि अंसारी ने मुकदमे में ही 10 साल से अधिक की सजा काट ली है, इसलिए दोषी ठहराए जाने के बाद भी उसे जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। राज्य के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उसे जेल में रखने के लिए पर्याप्त आधार हैं। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गैंगस्टर मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को भी चार साल जेल की सजा सुनाई थी।