
बंबई उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2015 में अपनी अलग रह रही पत्नी हेमा उपाध्याय और उनके वकील हरेश भंभानी की हत्या की साजिश रचने और उनकी हत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ कलाकार चिंतन उपाध्याय की अपील को अंतिम सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि वह दो सप्ताह के बाद जमानत और आजीवन कारावास की सजा के निलंबन की मांग करने वाली उपाध्याय की अर्जी पर सुनवाई करेगी।
भंभानी के परिवार के सदस्यों ने भी उपाध्याय की अपील और जमानत याचिका का विरोध करते हुए एक आवेदन दायर किया है।
यहां एक सत्र अदालत ने इस महीने की शुरुआत में इस मामले में उपाध्याय और तीन अन्य को दोषी ठहराया था, यह देखते हुए कि दोहरा हत्याकांड “क्रूर” था, लेकिन इसे “दुर्लभ से दुर्लभतम” अपराध नहीं कहा जा सकता, जिसके लिए मौत की सजा दी जा सकती है।
उपाध्याय ने अपनी अपील में दावा किया कि ट्रायल कोर्ट के फैसले में उचित और ठोस सबूत और तर्क का अभाव है।