छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शहर में डीजे के शोर से हो रही दिक्कतों पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वतः संज्ञान लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर रिपोर्ट देने का अंतरिम आदेश पारित किया है।
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव को यह बताने को कहा है कि उत्सवों के अवसर के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों, डीजे द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिए क्या प्रयास किए गए? कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें, कि एक जनहित याचिका पर 6 दिसम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने आदेशित किया था कि कलेक्टर और एसपी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी वाहन पर साउंड बॉक्स रख कर डीजे न बजाया जाए। गाड़ियों पर साउंड बॉक्स रखकर डीजे बजाने पर साउंड बॉक्स जब्त करना है, और बिना मजिस्ट्रेट के आदेश के उन्हें नहीं छोड़ा जाना है। साउंड बॉक्स मिलने पर वाहन का रिकॉर्ड रखा जाए। दूसरी बार उसी गाड़ी पर साउंड बॉक्स बजाए जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना हाईकोर्ट के आदेश के कोई नया परमिट जारी नहीं किया जाए।
लेकिन कोर्ट के आदेश का आज तक पालन नहीं हो पाया और शहर में कई अवसरों पर तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा है। इससे लोगों को भारी दिक्कत होने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण संबंधी बीमारियां होने का खतरा बढ़ रहा है। वहीं बीते साल 19 फरवरी को भी हाई कोर्ट ने डीजे से प्रदूषण पर दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय को शासन से यह दिशा निर्देश लेने को कहा था कि कोर्ट के आदेश पर क्या कार्रवाई की जा रही है।