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‘मीडिया ने अपने आप में लोकतंत्र’ केरल हाईकोर्ट के जस्टिस के बयान से फूले नहीं समा रहे मीडियाकर्मी

Kozhikode Press Club

कोझिकोड प्रेस क्लब के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में केरल हाईकोर्ट के जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि बगैर मीडिया के हमारे फैसले और आदेश का कोई मतलब नहीं है। साथ ही उन्होंने ‘प्रेस को अपने आप में लोकतंत्र’ बताया है। ‘लोकतांत्रिक भारत में प्रेस की अहमियत’ विषय पर बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं लोगों की नब्ज जानने के लिए प्रेस पर भरोसा करता हूं और मैं हमेशा कहता हूं कि जब तक लोगों को इसके बारे में पता नहीं होगा, हमारे आदेश और फैसले बेकार हैं। अगर प्रेस न्यायपालिका का बॉयकॉट कर दे या रिपोर्ट न करें, तो हमारे फैसले केवल रिपोर्टिंग जनरल में सिमट कर रह जाएंगे।’

दरअसल, मीडिया में जस्टिस रामचंद्रन के बयान को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली के बयान का जवाब माना जा रहा है, क्यों कि जस्टिस हिमा कोहली ने हाल ही में कहा था मीडिया का सेल्फ रेग्युलेशन जैसा कुछ नहीं बचा है। बहरहाल,

मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर जस्टिस ने रामचंद्रन ने कहा,’कल्पना कीजिए कि प्रेस पर प्रतिबंध लग गया या क्वारंटाइन कर दिया गया है। ऐसे में हमें बिल्कुल मालूम नहीं होगा कि हम क्या चाहते हैं और कार्यपालिका को भी नहीं पता होगा कि जनता क्या चाहती है। इससे बगावत और विद्रोह होंगे। अगर आप टुनीशिया की जेसमीन रिवोल्यूशन पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि कैसे लोग अपनी बात नहीं रख पा रहे थे, जिसकी वजह से वो रिजोल्यूसन बढ़ गया।’

जस्टिस रामचंद्रन ने आगे कहा, ‘जिन फैसलों पर चर्चा होती है, तो उसकी वजह प्रेस है। यह प्रेस की अहमियत है।’ उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिए ही हमें पता चलता है कि हम अच्छा काम कर रहे हैं या नहीं। जस्टिस ने कहा, ‘हम प्रेस को चौथा स्तंभ बताते हैं, क्योंकि संप्रभुता की ताकत को समझते हैं।’ उन्होंने कहा कि कोई भी तीन पैर वाला स्टूल टिका नहीं रह पाएगा, हमें चौथा पैर मीडिया चाहिए, जो पूरे सिस्टम को स्थिरता देता है।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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