इलाहाबाद हाईकोर्ट का रेप के मामले में अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि रेप का मुकदमा समझौते के आधार पर खत्म हो सकता है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त के विरुद्ध रिकॉर्ड पर कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने और पीड़िता के बयान में किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाने पर मुकदमा खत्म हो सकता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने कहा धारा 376 के तहत दर्ज मुकदमा समझौते के आधार पर समाप्त किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने कहा सामान्यता हाईकोर्ट को यौन अपराधों के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, लेकिन विशेष परिस्थिति में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत प्राप्त शक्तियों के तहत हस्तक्षेप किया जा सकता है। अपराध की गंभीरता, यौन हमले के प्रभाव, समाज पर पड़ने वाले उसके प्रभाव, अभियुक्त के विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्य पर विचार किया जा सकता है।
याची फखरे आलम के खिलाफ बरेली की बारादरी थाने में रेप और पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज है और इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लेकर अभियुक्त को वारंट जारी कर दिया है। याची ने याचिका दाखिल का चार्जशीट और सेशन कोर्ट से जारी वारंट को चुनौती दी थी।
याची की ओर से कहा गया था कि अभियुक्त के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में कहा है कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी। उसने अपनी इच्छा से उसके साथ शादी की और दोनों पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है और पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से अधिक है।