हैदराबाद के जुबली हिल गैंग रेप केस मामले में एक 17 साल की लड़की से रेप के मामले में पुलिस ने पांच नाबालिग और एक बालिग आरोपी को गिरफ्तार किया था। मसला था कि पांच में से एक आरोपी के पास कोई ऐसा सर्टिफिकेट नहीं था जिससे उसकी उम्र का पता लगाया जा सके। लेकिन मजिस्ट्रेट ने एक दिन की सुनवाई में ही आरोपी को बालिग मान लिया। उन्होंने उसे सिर से पैर तक देखा और फिर चंद सवाल किए। उसके बाद अपनी रिपोर्ट में लिख दिया कि आरोपी को बालिग मान ट्रायल पूरा हो।
मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट में रिट दाखिल हुई तो जस्टिस जी अनुपमा चक्रवर्ती ने उनसे पूछा कि आखिर आपने एक दिन में ही कैसे पता लगा लिया कि आरोपी बालिग है। जस्टिस का सवाल था कि मजिस्ट्रेट कैसे इस नतीजे तक पहुंचीं कि आरोपी पर जिस अपराध का आरोप है उसके नतीजे समझने के लिए वो शारीरिक और मानसिक तौर पर पूरी तरह से सक्षम था।
हाईकोर्ट ने मामले को दूसरी कोर्ट के हवाले करते हुए कहा कि वो फिर से जांच करके पता लगाएं कि क्या आरोपी वाकई बालिग है। हाईकोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है कि वो कैसे इस नतीजे तक पहुंचीं कि आरोपी वाकई बालिग है। चंद सवाल पूछने से ही इस बात का पता तो नहीं लग सकता।
मामले के मुताबिक जून 2022 में एक लड़की को कुछ लोगों ने कार में अगवा कर रेप किया था। पीड़िता के बयान पर पुलिस ने जांच करने के बाद पांच नाबालिगों के साथ एक बालिग को भी अरेस्ट किया था। एक की उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो रहा था। इसके लिए मजिस्ट्रेट की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल को जिम्मा दिया गया कि वो किसी निष्कर्ष तक पहुंचे। आरोपियों को जून में पकड़ा गया था
उम्र का पता लगाने के लिए पैनल को सितंबर 2022 तक की डेड लाइन दी गई थी। लेकिन पैनल ने 28 अगस्त को एक दिन की कार्यवाही के दौरान ही सारा फैसला कर दिया। हाईकोर्ट की जस्टिस ने इस बात का भी संज्ञान लिया जिसमें पैनल में शामिल बोर्ड मेंबर की राय को भी मजिस्ट्रेट ने कोई तवज्जो नहीं दी। पैनल में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के मेंबर के साथ एक मनोवैज्ञानिक भी शामिल थे। बोर्ड मेंबर का तर्क था कि आरोपी पढ़े लिखे नहीं थे लिहाजा वो अंजाम को नहीं समझ सके।