ENGLISH

बागेश्वरधाम की कथा रुकवाने कोर्ट पहुंचे वकील को पीठ ने लगाई फटकार, जेल भेजने की वॉर्निंग पर मांगी माफी

Bageshwardham

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बागेश्वरधाम की कथा के खिलाफ लगी याचिका को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई, जब याचिकाकर्ता के वकील जिरह पर जिरह करने लगे तो पीठ को कहना पड़ा कि उन्हें कोर्टरूम से सीधे जेल भेज दिया जाएगा, तब कहीं जाकर वकील ने पीठ से माफी मांगी। दरअसल, सर्व आदिवाजी समाज की ओर दायर याचिका जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच के सामने सुनवाई के लिए पेश हुई। याचिका में कहा गया कि बागेश्वर धाम की कथा से आदिवासी समाज में भेदभाव पैदा हो रहा है और समाज आहत हो रहा है।

सुनवाई के दौरान कई बार कोर्ट ने पूछा कि कथा से आदिवासी समाज की भावनाएं कैसे आहत हो रही हैं। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील जेएस उद्दे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। इसको लेकर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई और केस खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील इसके बावजूद जस्टिस विवेक अग्रवाल से से बहस करने लगे।

याचिकाकर्ता के वकील जेएस उद्दे ने कोर्ट को बताया कि जिस जगह पंडित धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम होना है, वहां पर पहले से ही बड़ादेव भगवान स्थान हैं। वह आदिवासियों का आस्था का केंद्र है। इस पर जब जस्टिस विवेक अग्रवाल ने उनसे पूछा कि आप यह बताएं कि बड़ादेव स्थान की क्या मान्यता है और अगर वहां पर कथा होती है तो कैसे किसी की भावनाएं आहत होगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि उस स्थान की जगह कहीं और कार्यक्रम करवा दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हो कहा कि यह आप डिसाइड करेंगे कि कहां पर कार्यक्रम होना है और कहां पर नहीं। पहले आप यह बताइए कि उस स्थान की मान्यता क्या है और कैसे इस कार्यक्रम से कुठाराघात होगा।

याचिकाकर्ता के वकील ने जस्टिस से कहा कि आप मेरी बात सुनने को ही तैयार नहीं है, जिस पर जस्टिस ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा की आपको कोर्ट में बहस करने का तरीका नहीं मालूम है। आप कब से वकालत कर रहे हैं, जिस पर वकील जीएस उद्दे का कहना था कि 2007-2008 से। कोर्ट ने कहा कि अगर आप इस तरह से बहस करेंगे तो क्या बहुत बड़ी टीआरपी कलेक्ट कर लेंगे। जिस दिन हमने जेल भेज दिया तो पूरी वकालत भूल जाओगे। कोर्ट ने कहा कि जितनी गर्मी आपने अपने केस को लेकर दिखाई है, अगर विनम्रता से कहते तो हम सुन भी लेते, अपने पक्षकार को बताएं कि हमारी गर्मी दिखाने के कारण कोर्ट ने केस खारिज कर दिया है, अब फिर से केस फाइल करें।

Recommended For You

About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *