राउज एवेन्यू कोर्ट ने जेल अधिकारियों को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) मनी लॉन्ड्रिंग मामले की चार्जशीट और दस्तावेजों को कैदियों की पहुंच वाले कंप्यूटर पर अपलोड करने का निर्देश दिया है।
यह निर्देश डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा के आवेदन पर पारित किया गया है, जो इस मामले में आरोपपत्रित और न्यायिक हिरासत में हैं।
विशेष न्यायाधीश भूपिंदर सिंह ने संबंधित जेल अधिकारियों को आरोप पत्र और दस्तावेजों को कंप्यूटर पर अपलोड करने का निर्देश दिया ताकि आरोपी अरोड़ा को ऐसे दस्तावेजों का अध्ययन कर सके।
कोर्ट ने कहा कि कैदियों को पीसी (पर्सनल कंप्यूटर) तक पहुंच की सुविधा दी गई है, संबंधित जेल अधीक्षक को तत्काल मामले की चार्जशीट और आरयूडी (विश्वसनीय दस्तावेज) अपलोड करने का निर्देश दिया जाता है।
अदालत ने आरोपियों और प्रवर्तन निदेशालय के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।
अरोड़ा ने वकील यश कादयान के माध्यम से एक आवेदन दायर कर आरोप पत्र और दस्तावेजों वाली एक फ्लैश ड्राइव को अपने पास रखने की अनुमति मांगी थी ताकि वह न्यायिक हिरासत में उन दस्तावेजों तक पहुंच सकें।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि ईडी द्वारा दायर आरोप पत्र और दस्तावेज हजारों पृष्ठों में हैं और इन्हें न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी तक नहीं पहुंचाया जा सकता है।
ईडी के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) मनीष जैन ने याचिका का विरोध किया और कहा कि आरोपी जगदीश अरोड़ा को आरोप पत्र और दस्तावेजों की हार्ड कॉपी प्रदान की गई थी।
जेल अधिकारियों ने यह भी कहा कि ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निषिद्ध श्रेणी में आता है और इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
अदालत को यह भी बताया गया कि न्यायिक हिरासत में कैदियों के पास पीसी तक पहुंच है। इसके बाद, अदालत ने जेल अधिकारियों को निर्देश दिया।
ईडी ने चार आरोपियों और एक फर्म एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
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