महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष मकोका अदालत ने 16 साल से अधिक समय की सुनवाई के बाद संगठित अपराध और हत्या के प्रयास और जबरन वसूली के एक मामले में गैंगस्टर रवि पुजारी से जुड़े छह लोगों को बरी कर दिया है।
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली अदालत के अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश एएन सिरसीकर ने 1 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है।आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध करायी गयी। अदालत ने इसी मामले में दो अन्य व्यक्तियों को भी बरी कर दिया।
विशेष लोक अभियोजक संजय मोरे ने अदालत को बताया कि आरोपी ने सितंबर 2006 में नवी मुंबई में एक निर्माण कंपनी के कार्यालय में घुसकर पैसे की मांग की और एकाउंटेंट को मारने का प्रयास किया।
बचाव पक्ष के वकील रामराव एस जगताप, पूनित महिमकर और प्रियंका भोसले ने आरोपों का विरोध किया।
न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के मामले में विसंगतियों की ओर इशारा किया, विशेष रूप से आरोपी की पहचान और स्पष्ट मकसद की कमी के संबंध में।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी ने एक संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में अपराध किया था।
अदालत ने कहा कि “यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने संगठित अपराध से प्राप्त आर्थिक लाभ के माध्यम से संपत्ति अर्जित की”।
न्यायाधीश सिरसीकर ने यह भी लिखा कि लगभग 18 साल पहले दर्ज किए गए मामले में दो आरोपियों के खिलाफ अभी भी आरोप तय नहीं किए गए हैं।
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