दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने कंझावला मामले में आरोपी दीपक खन्ना की जमानत याचिका खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा की, दिल्ली पुलिस का रवैया गैर जिम्मेदार है , और कोर्ट ने ये भी कहा की दिल्ली पुलिस ने जो जवाब अदालत में दायर किया है उसको देख कर लगता है जांच अधिकारी (IO) जमानत अर्जी का विरोध नहीं कर रहे हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा की, जांच एजेंसी को इस तरह का असंवेदनशील रवैया नहीं अपनाना चाहिए। यह न्यायालय की न्यायिक चेतना को झकझोरता है कि इस तरह के टालमटोल वाले गैर-जिम्मेदार जवाब अदालत में दाखिल किये है।
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि आरोपी दीपक खन्ना पर लगे आरोप बेहद संगीन और गंभीर प्रकृति के है। अदालत ने कहा “जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, और आरोपी ने खुद दो तरह के बयान दिए हैं पहले बयान में आरोपी ने कहा कि वह कार चला रहा था और बाद में अपने दूसरे बयान में कहा कि वह कार नहीं चला रहा था, हलाकि वह कार के अंदर मौजूद था या नहीं, इसकी जांच भी अभी की जानी बाकी है।
दरअसल रोहिणी कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जमानत याचिका खारिज कर दी। शनिवार को अदालत ने एक लिखित फैसला जारी किया, जिसमें उसने दिल्ली पुलिस को उसकी पूछताछ के लिए फटकार लगाई। कोर्ट में अर्जी दाखिल करने से पहले मामले की मॉनिटरिंग करने की भी गुहार लगाई थी।
दरअसल पहले दीपक ने पुलिस को बताया कि अंजलि की हत्या के सिलसिले में हिरासत में लिए जाने के बाद घटना के समय वह कार चला रहा था। जबकि कार दीपक नहीं अमित चला रहा था, और इसका पता पुलिस पूछताछ में चला। हालाँकि, आरोप है की दीपक ने स्वेच्छा से अधिकारियों को गुमराह किया था क्योंकि अमित के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। हालांकि उन्होंने दावा किया कि दुर्घटना के समय कार में पांच लोग थे, बाद में पता चला कि वास्तव में अंदर केवल चार लोग थे। इस मामले में पुलिस ने दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्णा, मिथुन और मनोज मित्तल को मुख्य आरोपी बनाया है।