नगालैंड सरकार को गुवाहाटी हाई कोर्ट की कोहिमा बेंच से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें रेस्तरां में कुत्तों के मांस की बाजारों में बिक्री और वाणिज्यिक (व्यापारिक) आयात पर रोक लगाई गई थी। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नगालैंड के लोगों के बीच यह एक स्वीकृत मानदंड और भोजन है।
न्यायमूर्ति मार्ली वैंकुंग ने कहा कि व्यापारी भी अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हैं और कुत्ते के मांस को नागाओं के बीच स्वीकार्य भोजन के रूप में मान्यता है।
न्यायमूर्ति वैंकुंग ने कहा अपने फैसले में यह भी कहा कि 2011 के खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम में जानवरों की परिभाषा के तहत कुत्तों का उल्लेख नहीं किया गया है। न्यायाधीश ने कहा कि इसे लेकर आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि कुत्तों का मांस भारत में पूर्वोत्तर राज्य के कुछ ही हिस्सों में खाया जाता है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कुत्ते के मांस को मानव उपभोग के लिए भोजन का मानक नहीं माना जाता है और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित जानवरों की परिभाषा से बाहर रखा गया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि नगालैंड में अलग अलग जनजातियां कुत्ते के मांस खाती हैं। उनका विश्वास है कि यह एक औषधि (दवाई) है हालांकि इसका कोई आधार नहीं मिला है। हाई कोर्ट ने कहा कुत्ते के मांस के व्यापार और खपत पर किसी कानून के अभाव में कार्यपालिका के इस तरह के प्रतिबंध को अलग रखा जा सकता है। भले ही इसमें यह क्यों न कहा गया हो कि यह आदेश खुद कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार जारी किया गया था।
दरसअल कोहिमा नगर परिषद के तहत लाइसेंस प्राप्त तीन व्यापारियों को जुलाई 2020 में बैन कर दिया गया था। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि पहले ही हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नगालैंड सरकार के बैन वाले आदेश पर नवंबर 2020 में प्रतिबंध लगा दिया था।