बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में मुंबई के उपनगरीय इलाके में फुटपाथ से बच्चे के अपहरण और बेचने के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए, न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने कहा, “बाल तस्करी शोषण के सबसे गंभीर और जघन्य रूपों में से एक है, जो न केवल बच्चे और परिवार को प्रभावित करता है, बल्कि समाज के ताने-बाने को भी खतरे में डालता है। अपराध की गंभीरता को देखते हुए, मैं Cr.P.C की धारा 439 के तहत विवेक का प्रयोग करने के लिए इच्छुक नहीं हूं। पीठ परंदम गुडेंती की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे मुंबई में फुटपाथ पर रहने वाले एक परिवार के 10 महीने के बच्चे को बेचने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। मामला अगस्त 2021 का है जब मुंबई के उपनगर बांद्रा इलाके में ट्रैफिक पुलिस बूथ के पास एक फुटपाथ से बच्चे का अपहरण कर लिया गया था, जब परिवार सो रहा था।
पुलिस को पता चला कि एक अपराधी से दूसरे अपराधी के पास जाने के बाद शिशु को एक निःसंतान दंपति को 35,000 रुपये में बेच दिया गया था, जिसमें गुडेंती मध्यस्थों में से एक था। जांच के मुताबिक, गुडेंती ने नाबालिग का अपहरण करने वाले एक आरोपी को 1.5 लाख रुपये दिए थे। फिर उसने बच्चे को 1.3 लाख रुपये में दूसरे आरोपी को बेच दिया, जिसने बाद में बच्चे को निःसंतान दंपति को 35,000 रुपये में बेच दिया। गौरतलब है कि गोद लेने वाले पिता को मामले में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया था। गुडेंती की ओर से पेश अधिवक्ता अपर्णा वाटकर ने तर्क दिया कि जांच पूरी हो चुकी है और मुकदमा शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में आरोपित दंपति को जमानत दे दी है। बिक्री के सिलसिले में पुलिस ने गुडेंती से 1.05 लाख रुपए बरामद किए। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई के अनुसार, फुटपाथ पर रहने वाले सबसे वंचित और उपेक्षित वर्ग हैं। एकल पीठ ने कहा, “फुटपाथ पर रहने वाले, विशेष रूप से सड़क पर रहने वाले बच्चे, समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले वर्ग हैं, जो उत्पीड़न और शोषण के शिकार हैं।”