1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की मांग वाली केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 12 जनवरी को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
संविधान पीठ की अगुवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने की जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी शामिल है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 1984 में हुई त्रासदी के पीड़ितों को और मुआवजा राशि दिलाने के लिए पहले हुए समझौते को दोबारा खोलना चाहती है। इसी को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है। वहीं यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) और उसकी उत्तराधिकारी कंपनियों का कहना है कि वे पहले हुए फैसले के अतिरिक्त एक रुपया भी पीड़ितों को नहीं देगें। वही याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने 10 जनवरी को केंद्र को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के संबंध में पहले हुए समझौते पर पुनर्विचार कैसे किया जा सकता है?