उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर दून घाटी के लिए एक मास्टर प्लान और एक पर्यटन विकास योजना तैयार करने को कहा है।साथ ही राज्य सरकार से इस अवधि के दौरान घाटी में सभी व्यावसायिक निर्माणों पर रोक लगाने को भी कहा है।
बुधवार को एक जनहित याचिका पर निर्देश जारी करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने कहा, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर दून वैली की हालत खराब कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।
इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि घाटी के लिए मास्टर प्लान और पर्यटन योजना बनाए बिना कोई भी व्यावसायिक गतिविधि नहीं की जानी चाहिए।
दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा, केंद्र की 1989 की अधिसूचना के बावजूद उत्तराखंड सरकार ने न तो पर्यटन गतिविधियों के लिए कोई योजना तैयार की है और न ही भूमि उपयोग के लिए।जनहित याचिका में कहा गया है कि, कोई मास्टर प्लान भी तैयार नहीं किया गया है
जनहित याचिका में कहा गया है कि, दून घाटी कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रही है, जो नदियों, जल निकायों और जंगलों को प्रभावित कर रही है।कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 9 अक्टूबर तय की है।