उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण तय करने में नियमों का पालन नहीं किया गया है। ऐसे स्थिति में 1 जनवरी 2020 को जारी चयन सूची का प्रदेश सरकार फिर से रिव्यू करे। इतना ही कोर्ट ने 6800 शिक्षकों की चयन सूची को रद्द भी कर दिया है। कोर्ट ने सरकार को यह निर्देश भी दिया है कि रिव्यू करते समय यह ध्यान रखा जाए कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न हो।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने 117 याचिकाओं के निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसले में तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति में अधिकारियों ने आरक्षण तय करने में कई गलत काम भी किए हैं। कोर्ट ने कहा एटीआरआई 2019 में शामिल होने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के अंक और डिटेल में कोई स्पष्टता नहीं थी। राज्य के अधिकारियों ने इसके लिए ज़रा भी प्रयास नहीं किया था।
कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि साल 2019 में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के बाद 1 जून 2020 को जारी सेलेक्शन लिस्ट (चयन सूची) की अगले तीन महीने के भीतर समीक्षा करे और समुचित आरक्षण तय करे। इसके साथ ही कोर्ट ने पांच जनवरी 2022 को जारी 6800 शिक्षकों की चयन सूची को भी रद्द कर दिया है। कोर्ट ने फौरी व्यस्थता देते हुए कहा कि पहले से नियुक्त और फिलहाल एटीआरआई 2019 के आधार चयनित और अलग-अलग जिलों में तैनात शिक्षक अपना काम तब तक जारी रखेंगे, जब तक अधिकारी चयन सूची को संशोधित नहीं करते।