मोरबी ब्रिज हादसे में गुजरात सरकार की पांच सदस्यों वाली एसआईटी ने प्राइमरी रिपोर्ट ने साझा कर दी है। राज्य शहरी विकास विभाग द्वारा मोरबी नगर पालिका के साथ साझा किया गया। इस रिपोर्ट में एसआईटी ने खुलासा किया है कि पुल की 49 केबल में से 22 में जंग लग चुकी थी। एसआईटी का रिपोर्ट में मानना है कि ये 22 तार पहले ही टूट चुके होंगे। जब पुल पर लोगों की तादाद बढ़ी तो बाकी 27 तार वजन नहीं उठा पाए और टूट गए। एसआईटी में आईएस राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, राज्य सड़क और भवन विभाग के सेक्रेटरी, एक इंजीनियर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर सदस्य है।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है मरम्मत के दौरान ब्रिज की केबल को पुराने सस्पेंडर्स (स्टील की छड़ें जो केबल को प्लेटफॉर्म डेक से जोड़ती हैं) को नए के साथ वेल्डिंग करके जोड़ा गया था। अमूनन केबल ब्रिज में भार वहन करने के लिए सिंगल रॉड सस्पेंडर्स का इस्तेमाल होने चाहिए।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में या ही भी कहा कि मच्छू नदी पर 1887 में बने पुल की दो मेन केबल में से एक केबल में जंग लगी थी। यानी 22 तार हादसे से पहले ही टूटे गए होंगे। एक केबल को 7 वायर से बनाया गया था, जो स्टील के थे। हादसे के दौरान नदी के ऊपर के तरफ मेन केबल टूट गई। हादसे के समय पुल पर लगभग 300 लोग थे। जो पुल की भार वहन क्षमता से बहुत ज्यादा थे। हालांकि एसआईटी ने कहा इसकी वास्तविक क्षमता की पुष्टि लैब रिपोर्ट से होगी।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि अलग-अलग लकड़ी के तख्तों को एल्यूमीनियम डेक से बदलना भी हादसे का एक कारण है। ब्रिज पर लचीले लकड़ी के तख्तों की जगह कठोर एल्यूमीनियम पैनल से बनी थी। इससे पुल का अपना वजन भी बढ़ गया था। इतब ही नही मार्च 2022 में पुल को रेनोबेशन के लिए बंद किया था और 26 अक्टूबर को खोल दिया था। मोरबी ब्रिज खोलने से पहले कोई वेट टेस्टिंग या स्ट्रक्चर टेस्टिंग नहीं हुई थी।
मोरबी पुलिस ओरेवा ग्रुप के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल सहित दस आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 336, 337 और 338 के तहत पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। मोरबी हादसा 30 अक्टूबर 2022 को हुआ था। इसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी।