सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है। खालिद पर फरवरी 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश के संबंध में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोप हैं।न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने खालिद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि मामले की विस्तृत जांच जरूरी है।पीठ ने कहा, “इस मामले में, हमें दस्तावेज़ देखना होगा। आप आरोपों के संबंध में क्या सबूत उपलब्ध हैं, इस पर कुछ दाखिल करें।”
इससे पहले 9 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने पहले ही खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।खालिद ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी है, जिसने सह-अभियुक्त व्यक्तियों के साथ उनके चल रहे संपर्क और उनके खिलाफ आरोपों की प्रथम दृष्टया वैधता का हवाला देते हुए उनके जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी।
खालिद, शरजील इमाम और अन्य के साथ, यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपों का सामना कर रहा हैं, उस पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे “मास्टरमाइंड” होने का आरोप लगाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप 53 मौतें हुईं और 700 से अधिक घायल हुए। यह हिंसा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई थी।
खालिद, जिसे सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि हिंसा में उसकी कोई आपराधिक संलिप्तता नहीं थी और अन्य आरोपी पक्षों के साथ कोई षड्यंत्रकारी संबंध नहीं था।