उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं परिषद में कार्मिकों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षाओं की निष्पक्षता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया है ताकि मुख्य रूप से यह निर्धारित किया जा सके कि भर्ती प्रक्रिया में कोई अनियमितता हुई है या नहीं। उम्मीद जताई जा रही है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सीबीआई अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
पीठ दो विधायी निकायों में वर्ष 2022-23 के लिए कर्मचारियों की भर्ती से संबंधित एक विशेष अपील पर सुनवाई कर रही थी।खंडपीठ ने सवाल उठाया कि 2022-23 में कर्मचारियों की भर्ती से ठीक पहले 2019 में भर्ती एजेंसी क्यों बदली गई। इस बदलाव पर सवाल उठाया गया था, खासकर यह देखते हुए कि यूपी लोक सेवा आयोग और यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पहले से ही उपलब्ध थे।
प्रारंभिक जांच में सहायता के लिए, पीठ ने भर्ती से संबंधित कुछ मूल रिकॉर्ड अपने पास रख लिए हैं और अपने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को इन रिकॉर्ड की फोटोकॉपी सीबीआई को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।