प्रदूषण को रोकने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार सीएनजी, बिजली और बीएस-VI डीजल बसों को छोड़कर अन्य यात्री बसों के राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने जा रही है। दरअसल, दिल्ली में प्रदूषण रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 21 नवंबर को फिर से सुनवाई है। अब दिल्ली समेत यूपी, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की सरकारों को यह बताना है कि उन्होंने प्रदूषण रोकने की क्या रणनीति बनाई है।
राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता में गिरावट के बीच दिल्ली में ग्रेप चरण चार के तहत प्रतिबंध वर्तमान में लागू हैं। वर्तमान में, केवल ट्रकों को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, ”छठ पूजा नजदीक है और इसके चलते भारी भीड़ देखने को मिल रही है। इसलिए दिल्ली सरकार त्योहार के बाद प्रतिबंध लागू करने की योजना बना रही हैं।
पिछले महीने, दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया था कि हरियाणा से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाली सभी बसों को बिजली, सीएनजी या बीएस-VI डीजल पर चलाना होगा।
यूपी और राजस्थान के एनसीआर क्षेत्रों से प्रवेश करने वाली बसों को भी इन मानदंडों का पालन करना होगा।
शहर सरकार के परिवहन विभाग ने कहा कि 1 जुलाई से हरियाणा, राजस्थान और यूपी के किसी भी शहर या कस्बे से दिल्ली में प्रवेश करने वाली सभी बसें केवल बिजली, सीएनजी और बीएस-VI डीजल पर चलने वाली बसें होंगी।
सूत्र ने कहा, “सभी राज्यों से आने वाली बसों के लिए समान मानदंड लागू करने की योजना है।”
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए शहर सरकार द्वारा निर्माण कार्य और शहर में डीजल-खपत वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े उपाय लागू करने के बावजूद पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है। प्रतिबंधों को लागू करने के लिए यातायात सहित चालीस प्रवर्तन टीमें दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक तैनात की जाती हैं। ओवरलोडेड ट्रकों, प्रदूषण प्रमाणपत्रों, अंतरराज्यीय बसों और भीड़भाड़ की जांच के लिए कुल मिलाकर सौ टीमों को काम पर लगाया गया है।