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पाकिस्तान के PTI पार्टी के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी को बड़ी राहत

पाकिस्तान की लाहौर हाई कोर्ट तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी की तत्काल रिहाई का आदेश दिया ह।

कुरैशी को 9 मई को हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार कुरैशी के खिलाफ पूरे पंजाब में नौ मामले दर्ज किए गए हैं।

इनमें से चार मामले लाहौर में दर्ज हैं, जबकि पांच मामले मुल्तान के अलग-अलग थानों में दर्ज है। 9 मई की घटनाओं के बाद, खान की पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया।

इन नेताओं में कुरैशी, फवाद चौधरी, असद उमर, डॉ यासमीन राशिद, शिरीन मजारी, मलीका बुखारी और फैयाजुल हसन चौहान शामिल थे।कुछ दिनों बाद फवाद, इमरान इस्माइल, शिरीन मजारी, फैयाजुल हसन चौहान, फिरदौस आशिक अवान और अन्य सहित कई प्रमुख नेताओं ने भी खान की पार्टी छोड़ दी।

दरअसल 9 मई को इस्लामाबाद में अर्धसैनिक रेंजरों द्वारा खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।

उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी भवनों में तोड़फोड़ की थी । रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी पहली बार भीड़ ने हमला किया था। खान को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

पिछले हफ्ते, खान की पार्टी के पूर्व नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें फवाद चौधरी, इमरान इस्माइल, महमूद मौलवी और आमिर कियानी शामिल थे, ने अदियाला जेल में कुरैशी से मुलाकात की और उन्हें इमरान खान से अलग होने के लिए मनाने की कोशिश भी की थी ।

हालाँकि, कुरैशी के बेटे ज़ैन कुरैशी ने कहा कि उनके पिता ने केवल “सिद्धांतों” की राजनीति की है “स्थिति और लालच” की नहीं।

जैन ने यह भी कहा की कल इमरान खान के साथ थे और वह आज उनके साथ हैं,” ज़ैन ने कहा कि उन्होंने पार्टी के दलबदलुओं के साथ अपने पिता की मुलाकात पर दिए गए मीडिया बयानों से इनकार किया।

हिंसा के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एजेंसियों ने पूरे पाकिस्तान में खान की पाकिस्तान पार्टी के 10,000 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया ,जिनमें से 4,000 पंजाब प्रांत से हैं।

इतना ही नहीं पंजाब गृह विभाग ने 9 मई को हुए हमलों और हिंसक विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए 10 अलग-अलग संयुक्त जांच टीमों का गठन भी किया गया था , जिसे सेना ने “ब्लैक डे” करार दिया था।

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About the Author: Meera Verma

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