रेप और मर्डर के एक मामले का फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिला अदालत ने कहा कि आरोपी का अपराध बेहद जघन्य प्रकृति का है और मानवता के लिए शर्मनाक है, अगर ऐसी आपराधिक मानसिकता वाला व्यक्ति समाज में जीवित रहेगा तो महिलाओं और मानवता के लिए गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। इस लिए 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के लिए दोषी को सजा-ए-मौत दी जाती है।
न्यायाधीश अमित कुमार प्रजापति की अध्यक्षता वाली विशेष पॉक्सो अदालत ने अभियुक्त को धारा 363, 376 एबी, 323, 302 और पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराते हुए उसे यह कहते हुए मौत की सजा सुनाई कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को एक सीमा से परे साबित करने में सक्षम है।
दरअसल, 25 साल के आरोपी कपिल ने 18 अगस्त 2022 की रात गाजियाबाद के पास मोदीनगर में अपने गांव से दो लड़कियों को आइसक्रीम खिलाने के बहाने अगवा कर लिया था। इन दो लड़कियों में एक उसके चंगुल से भागने में सफल रही जबकि 9 वर्षीय पीड़िता के साथ उसने गन्ने के खेत में ले जाकर बलात्कार किया और फिर गला घोंट कर उसे मार डाला।
रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों के समग्र विश्लेषण पर, न्यायालय ने कहा कि इससे यह तथ्य स्थापित होता है कि मृतक के अपहरण के संबंध में चश्मदीदों के मौखिक बयानों की पुष्टि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों और सीसीटीवी फुटेज से होती है और उनके बयानों के एक-दूसरे के अनुरूप हैं।
न्यायालय ने यह भी पाया कि अपहरण के अपराध से संबंधित सबूतों के संबंध में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाह पूरी तरह से विश्वसनीय गवाह थे। इसके अलावा मृतक के शरीर पर चोट के निशान डॉक्टर के साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से साबित हुआ कि अपराध जघन्य तरीके से किया गया था।