नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी ने पीएफआई के कैडर और सदस्यों के खिलाफ दो चार्जशीट फाइल की है। चार्जशीट के अनुसार पीएफआई अलग-अलग आपराधिक साजिशों से संबंधित हैं। इनमें मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उन्हें हथियार देने और 2047 तक भारत में इस्लाम की स्थापना का आरोप शामिल है। इसके अलावा, आतंक और हिंसा को अंजाम देने के लिए पीएफआई के इन काडर्स पर धन जुटाने का भी आरोप है।
पीएफआई सदस्यों और कैडरों द्वारा रची गई आपराधिक साजिश की जांच के लिए एनआईए ने सितंबर, 2022 में केरल में मामला दर्ज किया था। एनआईए ने चार्जशीट में पलक्कड़ निवासी श्रीनिवासन की बर्बर हत्या वाला मामला भी शामिल किया है।
दोनो चार्जशीटों में संदिग्धों पर अलग-अलग धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। साल 2022 में जांच अपने हाथ में लेने के बाद, एनआईए ने 17 संपत्तियों को ‘आतंकवाद की आय’ के रूप में चिह्नित किया और 18 बैंक खातों को ब्लॉक कर दिया। एनआईए कहा है कि, पीएफआई ने इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ‘रिपोर्टर्स विंग’, ‘फिजिकल एंड वेपन्स ट्रेनिंग विंग’, और ‘सर्विस टीम्स’ सहित कई विंग और समूह विकसित किए थे।
एजेंसी के अनुसार अब्दुल सत्तार (राज्य महासचिव), याहिया कोयल थंगल (राज्य कार्यकारी सदस्य), शिहास एमएच (एर्नाकुलम जोनल सचिव), और जिला सचिव-अध्यक्ष सैनुधेन टीएस, सादिक एपी, सीटी सुलेमान, और पीके उस्मान (राज्य महासचिव एसडीपीआई) पीएफआई के उन कुख्यात लोगों में शामिल हैं जिनके नाम आरोप पत्र शामिल किए गए है।