सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) के चार सदस्यों के खिलाफ मणिपुर पुलिस की कार्रवाई से राहत को 15 सितंबर तक बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दो समुदाय के लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने सहित कथित अपराधों के लिए दर्ज दो एफआईआर के संबंध में कोई भी कठोर कदम नहीं उठाने को कहा गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 16 सितंबर को सूचीबद्ध किया है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ईजीआई सदस्यों को कुछ और समय के लिए संरक्षित किया जा सकता है और मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर उच्च न्यायालय में भेजा जाना चाहिए।
ईजीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में की जानी चाहिए क्योंकि तथ्य-खोज रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।
पीठ ने कहा, ”हम इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे।” उन्होंने कहा कि वह उस दिन राज्य सरकार के जवाब पर भी विचार करेगी। दरअसल 4 सितंबर को, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस मामला दर्ज किया गया था और उन पर राज्य में “संघर्ष भड़काने” की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था। मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ गिल्ड के चार सदस्यों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।
एडिटर्स गिल्ड ने 2 सितंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में, राज्य में इंटरनेट प्रतिबंध को मीडिया रिपोर्टों के लिए हानिकारक बताया, कुछ मीडिया आउटलेट्स द्वारा एकतरफा रिपोर्टिंग की आलोचना की और दावा किया कि ऐसे संकेत थे कि राज्य नेतृत्व ने “ संघर्ष के दौरान पक्षपातपूर्ण हो गया।