बिहार में जातीय गणना मामले में नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कहा कि पटना हाईकोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा।
बिहार सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखे। सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को अब मामले की सुनवाई करेगा।
दअरसल बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर पटना हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनोती दी है। पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 4 मई को बिहार सरकार पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी थी।जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया था। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाया था।
पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस के दौरान नीतीश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार को गणना कराने का अधिकार है। यह जनगणना नहीं है। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समेत अन्य लोगों की गणना करनी है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों से 17 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इनसे किसी की भी गोपनीयता भंग नहीं हो रही है।
वही याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं किया कि जातीय गणना क्यों कराई जा रही है। इतना ही नही इसके लिए आपातकालीन फंड से 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इससे पैसा निकालने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है।