उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा, जिसमें हलद्वानी के पास जवाहर ज्योति दमुवाडुंगा क्षेत्र के निवासियों को भूमि स्वामित्व का अधिकार देने की मांग की गई है।
उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जनहित याचिका (पीआईएल) में हल्द्वानी नगर निगम को भी एक पक्ष बनाया जाए। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। हल्द्वानी निवासी दीपक बल्यूटिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि जवाहर ज्योति दमुवाढूंगा का कुल क्षेत्रफल 650 एकड़ में फैला है और यहां 7 हजार से ज्यादा परिवार रहते हैं। यह क्षेत्र आरक्षित वन भूमि का हिस्सा था।
हालाँकि, दिसंबर 2015 में इसे आरक्षित वन क्षेत्र से अनारक्षित भूमि में बदल दिया गया। जनहित याचिका में कहा गया है कि दिसंबर 2016 में राज्यपाल ने इसे एक अलग राजस्व गांव बनाने की मंजूरी दे दी। इसके बाद जवाहर ज्योति दमुवाढूंगा का सर्वे कराया गया। हालांकि, राज्य सरकार ने बिना किसी वैध कारण के, मई 2020 में जारी एक अधिसूचना के माध्यम से कार्रवाई रोक दी, जनहित याचिका में कहा गया और निपटान प्रक्रिया पर प्रतिबंध हटाने और स्थानीय निवासियों को भूमि धारण अधिकार देने की मांग की गई है।