गुजरात सरकार ने 2002 के गोधरा अग्निकांड के मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहे दोषियों की ज़मानत अर्जी का विरोध किया। गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा 59 लोगों को ज़िंदा बोगी में जला दिया गया। उनमें बच्चे, महिलाएं शामिल थे। कोच को बाहर से बंद कर बाहर से पत्थर बरसाए गए ताकि लोग बाहर नहीं निकल पाए। यह रेयरेस्ट ऑफ रेयरेस्ट केस है। दोषी फांसी की सज़ा का हक़दार है। उनके साथ कोई रियायत नहीं बरती जानी चाहिए।
कोर्ट ने दोषियों और गुजरात सरकार के वकीलों से कहा कि वो आपस में बात कर सभी दोषियों का चार्ट तैयार करें।
उस चार्ट में बताए कि दोषियों की उम्र कितनी है, उनके खिलाफ आरोप क्या है और कितना वक़्त जेल की सलाखों के पीछे गुजार चुके है। तीन हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट साल 2002 के गोधरा कांड में पत्थरबाजी करने वालों में से 15 दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है।