‘लीगली स्पीकिंग्स‘ के पास बिहार के चर्चित स्कैम लैण्ड फॉर जॉब मामले में सीबीआई ने लालू यादव, बेटी मीसा भारती और राबड़ी देवी सहित कई लोगों के खिलाफ जो चार्जशीट दिल्ली की अदालत में दाखिल की है उसकी एक्सक्लूसिव कॉपी है।
सीबीआई ने चार्जशीट में आरोप लगाए हैं कि लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी यादव बेटी और रेलवे के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एक आपराधिक षडयंत्र रचा और खुद अपने और अपने परिजनों के लिए भूमि का घोटाला किया है।
सीबीआई की जांच रिपोर्ट से पता चला है लालू प्रसाद यादव ने 2007-08 की अवधि के दौरान रेलमंत्री रहते हुए पटना के ग्राम-महुआबाग, कुंजवा की जमीनों को पार्सलघर बनाने के लिए अधिगृहण किए थे। दरअसलस ये सारी भूमियां पहले से ही उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली भूमि पर बने पार्सल घर के नजदीक थी। आम लोगों से हथियाई गई जमीनों के पास जो जमीनें पहले थीं उन पर राबड़ी देबी और मीसा भारती के अलावा, मध्य रेलवे की एक अधिकारी श्रीमती सौम्या राघवन, मध्य रेलवे के महा प्रबंधकस कमलदीर मौन राय की ही नाम थीं। इसके अलावा तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी, और गांव महजबाग, पटना और गांव-बिंदौल, बिहटा, पटना और पटना शहर के निवासी राज कुमार सिंह, मिथलेश कुमार , अजय कुमार, संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, विकास कुमार अभिषेक कुमार, रवींद्र रे, किरण देवी, अखिलेश्वर सिंह, रामाशीष सिंह आदि ने भोले -भाले लोगों से जमीनें ली और रेलवे के खताौनी में चढ़वाने के जगह अपने नाम कर दर्ज करवा ली।
सीबीआई ने कहा है कि इस आपराधिक साजिश के तहत रेलवे में नियुक्ति की प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए उम्मीदवारों की अनियमित नियुक्तियां की गईं। एक तरह से यह नियुक्तियां जमीन के बदले नहीं बल्कि घूस के बदले नौकरियां दी गईं।
सीबीआई ने चार्जशीट में लिखा है कि हद तो तब हो गई जब जमीन के बदले नौकरी के नाम पर भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का घोर उल्लंघन किया गया और तमाम उम्मीदवारों को अनियमित नियुक्तियां की गईं। जैसे कि सीबीआई ने बताया कि भूमिका प्रतिदान लालू प्रासद यादव और उनके परिवार-परिचित और कुछ अफसरों ने जमीनों को प्रतिदान के रूप में यानी बाजार मूल्य से चौथाई दामों में खरीद लीं।
सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया और रेलवे की नौकरी के आवेदकों या जमीन मालिकों और उनके परिवार के सदस्यों को अवैध रूप से नियुक्त करने के लिए रेलवे अधिकारियों बेईमानी की साजिश फांस लिया। इस साजिश में लालू यादव ने छल बल और पद के प्रभाव से मध्य रेलवे के उपरोक्त दो अधिकारियों की शक्तियों का दुरुपयोग किया। पार्सलभवन के लिए भूमि देने वालों को सेंट्रल रेलवे के में ग्रुप-डी में नौकरियां दे दी गईं।
सीबीआई ने पुख्ता सबूतों के साथ आरोप चस्पा किए हैं कि लालू यादव ने कुछ लोगों को स्थानापन्न नियुक्तियां भी दीं। जिन उम्मीदवारों को स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था, उन्हें बाद में नियमित कर दिया गया और इस नियुक्ति के बदले में लालू प्रसाद ने राबड़ी देवी और मिशा भारती के नाम पर उक्त भूमि को सर्किल दरों और बाजार दरों से बहुत कम दरों पर प्राप्त किया।
स्थानापन्न अभ्यर्थियों के तौर पर भर्ती किए गए सभी उम्मीदवारों को बाद में नियमित कर दिया गया। हालांकि उनसे कहा था कि उन्हें रलेव, स्टेशनों पर नियुक्ति दिलाई जाएगी। लालू प्रसाद यादव ने उम्मीदवारों और उनके परिवार के सदस्यों जमीनें लेकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी के नाम पर स्थानांतरित कर दिया। राबड़ी देवी औक मीशा भारती ने इन जमीनों को जिस कीमत पर खरीदा था वो बाजारू मूल्य से काफी कम मूल्य था।
सीबीआई से बहुत मुश्किल से यह तथ्य खोजा है सोने के कीमत वाली जमीनों को कौड़ियों में दाम लालू यादव, राबड़ी देवी और मीशा भारती को जमीन देने वालों में से सिर्फ 9 लोगों को ही उनकी मनचाही नौकरी मिल पाई थी।
जांच में सामने आया है कि एक तरह के सर्टिफिकेट जैसे, स्कूल की टीसी और उनके आवेदन के साथ संलग्न, जांच के दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत स्थानांतरण प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र एक ही समय और एक ही फॉर्मेट पर थे। एक उम्मीदवार चर्मेंद्र कुमार का निवास प्रमाण पत्र औक संजय कुमार तथआ विकास कुमार के सीरियल नंबर हैं जो बताते हैं कि उन्होंने ये प्रमाणपत्र पूरी तरह से और एक सामान्य उद्देश्य के लिए प्राप्त किए हैं।
लालू प्रसाद यादव, मीसा भारती, राबड़ी देवी पर पीसी एक्ट के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, धोखाधड़ी के लिए जालसाजी और कुछ धाराओं के तहत मामला दर्ज
इस प्रकार, उपरोक्त लालू प्रसाद यादव (ए -1), राबड़ी देवी (ए -2), मीशा भारती (ए-3), राज कुमार सिंह (ए-4), मिथलेश कुमार (ए-5), अजय कुमार (ए-6), संजय कुमार (ए-7), धर्मेंद्र कुमार (ए-8), विकास कुमार (ए-9), अभिषेक कुमार (ए) -10), रवींद्र रे (ए-11), किरण देवी (ए-12), अखिलेश्वर सिंह (ए-13), रामाशीष सिंह (ए-14), कमलदीप मैनराई (ए-15) एवं श्रीमती. सौम्या राघवान (ए-16) आदि ने आईपीसी की धारा 120-बी सपठित धारा 420, 467, 468, 471 और धारा 8, 9, 11, 12 और 13(2) सपठिच 13(1)( घ) भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 का मूल अपराध कारित किया है।
इन ठोस सबूतों वाली चार्जशीट सामने आने का मतलब है लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती पर गिरफ्तारी की तलवार किसी भी मिनट गिर सकती है।