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श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, बैंक्रप्सी के लिए राजपक्षे बंधु दोषी

Sri Lanka

श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में, मंगलवार को राजपक्षे बंधु और अन्य वरिष्ठ अधिकारी राष्ट्र में बड़े पैमाने पर आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने बहुमत के आधार पर यह फैसला सुनाया। अब इनको क्या सजा दी जाएगी। इस पर अदालत अगली सुनवाई में तय करेगा।

शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है कि राजपक्षे बंधु – पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे  उस संकट के लिए जिम्मेदार लोगों में से थे, जिसके कारण देश पिछले साल दिवालिया हो गया था।

इस संकट के परिणामस्वरूप पिछले साल सड़कों पर बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके चलते राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा और वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व में नए प्रशासन की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर अजित निवार्ड कैब्राल और प्रोफेसर डब्ल्यूडी लक्ष्मण, पूर्व वित्त सचिव एसआर अट्टीगले, पूर्व राष्ट्रपति सचिव पीबी जयसुंदरा और सेंट्रल बैंक के मौद्रिक बोर्ड के सदस्यों ने लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया था। मुख्य न्यायाधीश जयंत जयसूर्या की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने बहुमत के आधार पर यह फैसला सुनाया गया।

यह मौलिक अधिकार याचिका (एससी/एफआरए/212/2022) 17 जून, 2022 को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका (टीआईएसएल) द्वारा सह-याचिकाकर्ता चंद्र जयरत्ने, जेहान कैनागा रेटना और जूलियन बोलिंग के साथ जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दायर की गई थी।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि नागरिकों के समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संविधान के तहत गारंटीकृत सूचना के अधिकार के मौलिक अधिकारों का उत्तरदाताओं के कार्यों या निष्क्रियताओं के माध्यम से अन्य अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

इसमें कहा गया है कि उत्तरदाताओं के कार्यों और निष्क्रियता के कारण देश में भोजन, दवा, ईंधन और एलपी गैस की कमी हो गई, जिससे पूरी आबादी अभूतपूर्व तरीके से प्रभावित हुई।
याचिका में आगे कहा गया है कि टैक्स ब्रेक के कारण सरकारी राजस्व में कमी, टैक्स ब्रेक को उलटने में विफलता, बिना किसी पुनर्गठन के संप्रभु ऋण की सेवा जारी रखने का निर्णय और आईएमएफ की सहायता लेने से इंकार करना मुख्य कारकों में से थे।

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About the Author: Ashish Sinha

-Ashish Kumar Sinha -Editor Legally Speaking -Ram Nath Goenka awardee - 14 Years of Experience in Media - Covering Courts Since 2008

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