जमात-ए-इस्लामी (जेआई) ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) को राष्ट्रीय विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव सुनिश्चित करने का निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जेआई नेता लियाकत बलूच ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की।
जेआई नेता द्वारा दायर याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया कि वह ईसीपी को 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान में आम चुनाव सुनिश्चित करने का निर्देश दे। यह पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई तीसरी ऐसी याचिका है। इससे पहले, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आबिद एस जुबैरी ने सुप्रीम कोर्ट में यही याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से परिसीमन और जनगणना 2023 के संबंध में सीसीपी के फैसले को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया। ईसीपी ने कहा था कि 90 दिनों के भीतर आम चुनाव संभव नहीं हैं। पाकिस्तान के चुनावी निगरानीकर्ता ने कहा कि उसने आगामी आम चुनाव 2023 की जनगणना के आधार पर कराने का फैसला लिया है। ईसीपी ने कहा कि आयोग परिसीमन प्रक्रिया आयोजित करने के लिए बाध्य है और पहला प्रकाशन 9 अक्टूबर को जारी किया जाएगा। इसमें आगे कहा गया कि अंतिम प्रकाशन 14 दिसंबर को होगा
इससे पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने आम चुनाव में देरी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट (एससी) में याचिका दायर की थी। पीटीआई ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनाव में देरी के खिलाफ दलील दी है। सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील के मुताबिक, राष्ट्रपति को 90 दिनों के भीतर चुनाव की तारीख की घोषणा करनी चाहिए।
पीटीआई ने परिसीमन और जनगणना 2023 को लेकर सीसीआई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य घोषित करने की सिफारिश की थी। लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) के पिछले आदेश के अनुसार, आगामी आम चुनाव 90 दिनों के भीतर होने चाहिए।
चुनाव की तारीख की घोषणा को लेकर एलएचसी ने पाकिस्तानी चुनाव आयोग और राष्ट्रपति के प्रधान सचिव को नोटिस भेजा है। पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के एक बयान के अनुसार, हालांकि, सभी राजनीतिक दल नवीनतम जनगणना के परिणामों के आधार पर आम चुनाव कराने पर सहमत हुए।