झारखंड हाई कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के एक मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता प्रतुल शाहदेव के खिलाफ एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ”ऐसा प्रतीत होता है कि मामला दुर्भावनापूर्ण तरीके से दायर किया गया है।” न्यायालय ने आगे कहा कि एससी/एसटी अधिनियम अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सुरक्षा के लिए है न की झूठा मामला दर्ज करके स्कोर सेट करने के लिए नहीं है।”
शाहदेव के खिलाफ लातेहार जिले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 341, 342, 323, 325 और 307 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
भाजपा नेता प्रतुल शाहदेव ने एफआईआर रद्द करने की अपनी याचिका में कहा है कि लातेहार पुलिस ने बदले की भावना से उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है क्योंकि वह विभिन्न मामलों पर पुलिस और प्रशासन के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं।
मंटू राम नामक व्यक्ति की शिकायत पर लातेहार पुलिस ने मामला दर्ज किया था। अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि ड्राइवर के तौर पर काम करने के दौरान छोटी-छोटी गलतियों पर भी प्रतुल शाहदेव उनके साथ गाली-गलौज करते थे।