केंद्र ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचीका का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं, जिन्हें समान कतई नहीं माना जा सकता है।
केंद्र सरकार ने यह भी जहाँ की मौजूदा कानून ‘एक पुरुष और एक महिला के बीच विवाह के कानूनी संबंध की मान्यता तक सीमित है, जिसे पति और पत्नी के रूप में ही दर्शाया गया था।’
केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली सभी याचिकाओं को ख़ारिज करने की भी मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की अधिकृत वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक सोमवार (13 मार्च) की कॉज लिस्ट के अनुसार, CJI डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए दलीलें सूचीबद्ध की गई हैं।
दरअसल, 6 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को क्लब और अपने पास स्थानांतरित कर लिया है जिनकी सुनवाई विभिन्न उच्च न्यायालय में होनी थी।